किताब :- "ट्वेल्थ फेल"
लेखक:- अनुराग पाठक
प्रकाशक:
नियोलिट पब्लिकेशन
अन्तर्मन, 13 सोहम पार्क, प्रज्ञा गर्ल्स स्कूल के सामने,
बिचौली मर्दाना, इन्दौर (म० प्र०)
छठा संस्करण: 2019
ISBN: 978-81-941701-0-5
'अनुराग पाठक' द्वारा लिखी ये किताब मनोज के जीवन संघर्ष पर आधारित है जिसमें उनकी पत्नी श्रद्धा कि भी एक मुख्य भूमिका रही है। किताब की भूमिका में ही मनोज के माननीय शिक्षक विकास दिव्य कीर्ति ने लिखा है -
सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान मैं हर साल जोश से भरे हजारों युवक और युवतियों से रूबरू होता हूँ। इनमें से कुछ सफल होते हैं और राष्ट्र सेवा के लिए निकल पड़ते है। पर कुछ मन को छूकर निकलते हैं, इतने करीब से कि आप चाह कर भी उन्हें भुला नहीं सकते। ऐसे ही दो प्रतियोगी मनोज और श्रद्धा की कहानी इस उपन्यास की प्रेरणा बनी है ।
जब कभी आँख बंद करके इन दोनों की कहानी याद करता हूँ तो दुनिया पर भरोसा बढ़ जाता है! कहने वाले लाख कहते रहें कि आजकल दुनिया में प्यार और ईमानदारी का अकाल पड़ा हुआ है; या यह कि आज की दुनिया धोखाधड़ी और बेईमानी पर टिकी है; पर मुझे दुनिया की अच्छाई पर भरोसा बनाए रखने के लिये कुछ उदाहरण काफी लगते हैं। ~"किताब से "
लेखक ने किताब के पहले पन्ने पर उन सभी लोगों को धन्यवाद किया है जिनके बिना इस किताब का पूर्ण होना मुश्किल था।
नीचे पढ़िए...
मनोज को धन्यवाद, जिसके जीवन संघर्ष पर यह उपन्यास आधारित है, आदरणीय विकास दिव्यकीर्ति सर, मेरे मित्र युवा फिल्म निर्देशक सुधांशु, सोनल दीदी, सुनील चतुर्वेदी और श्रद्धा को धन्यवाद जिनके लगातार सहयोग के बिना उपन्यास पूर्ण होना मुश्किल था।
लेखक परिचय
अनुराग पाठक |
अनुराग पाठक:
5 अगस्त 1976 को ग्वालियर में जन्म। एम० ए० और पीएचडी हिन्दी साहित्य से किया। एक कहानी संग्रह वॉट्स ऐप पर क्रांति प्रकाशित। वर्तमान में इंदौर में निवास।
Email : authoranurag.p@gmail.com
आपको ये किताब क्यों पढ़नी चाहिए?
यदि आपने कभी भी, एक बार भी सिविल सर्विसेज की तैयारी के बारे में सोचा है या सोच रहें हैं तो ये किताब आपके लिए है। ये किताब आपको प्रोत्साहना से भर देगी। एक बहुत सीधा और सरल लेकिन मेहनतबद्ध रास्ता दिखाएगी। ये किताब बताएगी कि यदि आप किसी एक लक्ष्य पर पूरी मेहनत और लगन से काम करते हैं तो वो आपको ज़रूर मिलेगी। ये आपको बताती है कि यदि आप लड़ेंगे नहीं अपने सपनों को पाने के लिए तो आप हार जाएंगे। हारते वही हैं जो लड़ते नहीं।
पुस्तक का विमोचन |
"ट्वेल्थ फेल - हारा वही जो लड़ा नहीं।" सच में ये कहानी यही कहती है कि अगर तुम लड़ोगे नहीं तो हार ही जाओगे। हारना और जीतना तो ज़ेहन से जुड़ा होता है। अगर आपने पहले ही मान लिया तो कुछ नहीं हो सकता। कुछ भी जीतने के लिए सबसे अहम है उसे अपने ज़ेहन, अपने दिमाग में जीतना और उसके लिए पूरी मेहनत करनी पड़ेगी।
ये एक लड़के "मनोज" की ऐसी ही कहानी है जो कभी हार नहीं मानता। परीक्षा में नकल नहीं कर पाने से ट्वेल्थ में फेल हो कर टेम्पो चलता है और फिर किस-किस परिस्थितियों से हो कर वह सिविल सर्विसेज की तैयारी में लगता और इस सपने को पूरा करने के लिए उन परिस्थितियों से होकर गुजरता है। यही कहानी है "ट्वेल्थ फेल।"
एक ट्वेल्थ फेल के दिमाग़ में इस ख्याल का आना ही बड़ी बात है और फिर उसपर से उसको पाने की ज़िद। सच में ये कहानी पढ़ना एक बहुत मोटिवेशन वाला रहा। एक ऐसी गाथा जो आपको आपके गोल की तरफ, आपके लक्ष्य के तरफ धकेलती है।
अनुराग पाठक |
एक शेर भी तो है जो अभी 'TVF अस्पिरांट्स' में दिखाने से और भी मशहूर हुआ।
"कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता।
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।"
सच में, किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए एक दृढ़ संकल्प होना चाहिए। एक सच्ची लगन। इसमें मनोज के साथ श्रद्धा की भी कहानी है जब ये ग्वालियर से दिल्ली तैयारी के लिए जाता है और वह दोनों की मुलाक़ात होती है। इसमें यूपीएससी अस्पिरंट्स के लिए टिप्स हैं, इंटरव्यू के सवाल और उसके जवाब भी हैं। इसको पढ़ने के बाद आदमी उन परिस्थितियों के बारे में ज़रूर सोचता है जो कभी उसके लक्ष्य के बीच में दीवार बनकर आए और उसने हाथ खड़े कर दिए और अपनी लक्ष्य से हार मान गया।
अगर आपभी हतोत्साहित हो गए है तो एक बार ख़ुद से कहिए कि "हारा वही जो लड़ा नहीं।" सीखिए अपनी पिछली गलतियों से और पूरे मेहनत और लगन से लग जयिए अपने लक्ष्य को पाने में। सफलता ज़रुर मिलेगी।
नोट: इस ब्लॉग में संलग्न सभी तस्वीरें इन्टरनेट से ली गई हैं।
Post a Comment