कुछ दिनों से एक ही ख़्वाब देख रहा हूँ। एक ही लड़की। हाँ... जगह रोज़ बदल जाती है।
नाम..... उसका नाम लेकर ही उसे पुकारता हूँ लेकिन जैसे ही नींद खुलती है नाम भूल जाता हूँ।
वो मुझे प्यार करती है, और मैं भी उसे पसंद करता हूनं, ये बात अभी तक दोनों को पता नहीं चली है।
हम दोनों एक ही जगह मिले, जहाँ हम पढ़ते हैं। वो कॉलेज है, स्कूल है या कोई कोचिंग सेंटर पता नहीं। अक्सर ख़्वाबों में ऐसा ही होता है। उससे मिलता हूँ तो कोई बड़ा सा गार्डेंन होता है लेकिन जब तक उसको उसके नाम से पुकारता हूँ, जगह बदल चुकी होती है।
आज जब हम मिले तो गार्डेन से सीधे मेरे किराए के घर पर पहुंच गए, जहाँ कोई मेरे साथ रहता है।
कौन है?
मेरा दोस्त है,
नाम.?
पता नहीं।
मैं खाना खाने बैठा हूं। एक कमरे में दो बिस्तर लगे हैं। मेरे बिस्तर पर मैं हूँ। थाली में कुछ रोटियाँ हैं, भिंडी की भुजिया है। थाली के पास एक प्याले में दाल भी हैं।
वो अायी अपनी एक सहेली के साथ। दोनों की शक्ल बहुत मिलती है और दोनों के नाम भी। मैं अक्सर उसे पुकारने में उसकी दोस्त का नाम ले लेता हूं। फिर वो झूठ की नाराज़गी दिखती है।
वो आयी और ऐसे जाने लगी कि वो अाई ही नहीं।
मैंने उसे पुकारा... उसे पुकारा लेकिन उसकी दोस्त का नाम ले लिया। फिर वो झूठ की नाराज़ हुई, मैंने कहा यहीं खाना खा लो।
उसने अपना लंच बॉक्स निकाला। अब समझ आया कि हम सब लंच करने आए हैं, वो हॉस्टल का कमरा है। वो बेमन से रुक गई। खाने का टिफिन खोला तो दाल ज़मीन पर गिर गई। तभी मेरे पास में बैठे मेरे बड़े भाई जैसे दोस्त उससे बात करने लगे।
अभी पता चला ये कई दिनों से मेरे यहां आए हैं, अभी वो भी मेरे साथ खाना खा रहे हैं।
मैंने उसका टिफिन अच्छे से संभाला और बिस्तर पर ही खाना खाने को कहते हुवे उसके सामने वो टिफिन खोल कर रख दिया। दाल वहाँ भी बिस्तर पर गिर गई। मैंने थोड़ा सा नाराज़गी दिखाई फिर एक पेपर नीचे रखते हुवे कहा खा लो अपना बिस्तर थोडे है।
वो मुस्कुराकर खाने लगी।
पास में खाते हुवे भैय्या मुझे छेड़ रहे हैं कि इसे बात चला लो अच्छी है।
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, अच्छी है लेकिन अभी अपनी नहीं।
नींद खुल गई।
WAAH BHAIYYA KYAA BAAT HAI,, BAHUT UMDAH,,
ReplyDeleteThank you so much Bhai 🙏❤💐
Deleteamazing tahreer bhai.. jabardast hai// chalte rahiye,//
ReplyDeleteThank you so much Bhai 🙏💐
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