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"जीवन एक दरिया की तरह है और हम सभी एक नाव पर हैं जहाँ कोई भी पतवार नहीं है लेकिन पतवार बनाने के लिए ज्ञान का भण्डार यहाँ अवश्य उपलब्ध है।
हम उससे अपनी नाव खेने का पतवार बना सकते हैं लेकिन खेवाय्या प्रकृति ही होगी। हमारी इस जीवन के दरिया का किनारा मृत्यु है।"
शाहनवाज़ आलम "मुज़िर" www.ahmadsvoice.com के सहयोगी लेखक हैं और इनकी रचनाएँ कमाल की हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको इनकी लेखनी पसंद आए।
इन्हें ऊर्दू हाथ पकड़कर अपने तरफ खींचती है तो हिन्दी का हाथ ये ख़ुद छोड़ नहीं पाते क्यों कि ये हिन्दी साहित्य से प्रेम में हैं, चाहते भी हैं तो साहित्य रचनाएं इन्हें खींच लेती हैं। इंग्लिश भाषा तो इन्हें ना चाहते हुए बोलना पढ़ना पड़ता है। इसके लिए ये समाज और समाज की रंग रेखा इन्हें मजबूर करती है।
और भोजपुरी तो इन्हें माँ के साथ ही मिला है।
तो इस तरह के है शाहनवाज़ आलम मुज़िर, जो अपनी बातें किसी भी मुद्दे पर रखने से डरते नहीं है। आप यदि इनसे बात करना चाहें तो निम्न पते पर सम्पर्क करें।
Email: Muziralam@gmail.com
मोबाईल :- +919661206427
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good o see you both, best wishes!
ReplyDeleteThank you so much, let us know if you liked our work!
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