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किताब की बातें” : एक देश बारह दुनिया

आज किताब की बातेंकॉलम में हम बात करेंगे युवा पत्रकार शिरीष खरे जी की किताब एक देश बारह दुनियाकी. अभी तक इस किताब को पाठको ने खूब सराहा है। ये किताब “राजपाल एंड संस प्रकाशन” से प्रकाशित हुई है।

 

पुस्तक परिचय : एक देश बारह दुनिया

हाइवे से कई किलोमीटर भीतर का 'हिंदुस्तान'

 

 

शिरीष खरे

'एक देश बारह दुनिया'- यह पुस्तक एक पत्रकार की है, जो चाहता तो अपने आलेखों को संकलन करके बड़ी आसानी से उन्हें किताब की शक्ल में पिरो सकता था, लेकिन उसने भारत की नई कहानियों को उजागर करने के लिए नया फार्मेट तैयार किया और नये सिरे से ऐसे रिपोर्ताज लिखे जिसकी भाषा और प्रस्तुति साहित्यिक है, लेकिन घटनाओं के विवरण और तथ्य पत्रकारिता से प्रेरित।

 

एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पुस्तक की ज्यादातर कहानियां हाइवे से कई किलोमीटर अंदर की हैं, जहां विकास विकास के ढांचे और बैनर नहीं दिखते, बल्कि सड़कें दिखती हैं जो विकास के शहरी नजरिए के साथ जंगलों का दोहन ही करता है।

 

यह पुस्तक पत्रकार और पत्रकारिता की सीमा से आगे जाती दिखती है, जहां सूचना, साक्षात्कार और आंकड़ों से परे एक पत्रकार रिपोर्ट से बाहर निकलते हुए अपने अनुभव साझा करता है और खुद अपनी प्रतिक्रियाएं भी व्यक्त करता है।


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नए क्लेवर में रिपोर्ताज

रिपोर्ताज सामान्यत: हिंदी साहित्य से गायब होते जा रहे हैं, बावजूद इसके अच्छे रिपोर्ताज को लेकर एक अरसे से पाठकों की मांग बनी हुई है। इस मायने में  'एक देश बारह दुनिया' पुस्तक पाठकों की इस मांग को काफी हद तक पाटती हुई दिखती है।

 

राजपाल एंड सन्स, नई-दिल्ली से हाल ही में प्रकाशित इस पुस्तक को लिखने वाले पत्रकार शिरीष खरे की यह कोशिश कि देश के विभिन्न भूभागों के हाशिए पर धकेल दिए गए वंचित और पीड़ित समुदायों की अनसुनी कहानियों को बाकी दुनिया को सुनाया जाए, सफल होती नजर आती है।

 

जब इस किताब के पन्ने दर पन्ने से पाठक गुजरता है और हर कहानी का पात्र जीवंत हो उठता है, स्वयं अपनी कहानी कहने के लिए। एक तरह से हाशिए पर धकेल दिए गए लोगों की आवाज भी है यह रिपोर्ताज-संकलन, जो 2008 से बदलते देश का जरूरी दस्तावेज लगता है।

 



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देश को समझने के लिए जरूरी किताब

महाराष्ट के विदर्भ और मराठवाड़ा, बस्तर और छत्तीसगढ़ के दूसरे हिस्सों से लेकर बाड़मेर राजस्थान के इलाकों में शिरीष द्वारा की यात्राएं वहां के जनजीवन, संस्कृति के साथ-साथ कठोर यथार्थ, विसंगतियों, मौजूदा और भावी संकटों के साथ-साथ त्रासदियों की बानगी बयां करती हैं। मौजूदा समय में अपने ही देश को समझने के लिए जरूरी किताब भी है यह।

 

एक देश बारह दुनिया' लेखक के समाज और उसके संसाधनों के प्रति सकारात्मक नजरिए का दस्तावेज है। इन कहानियों में लेखक ने देश के ज्वलंत मुद्दों को पैनी दृष्टि से परखकर उसी गहराई से बयान भी किया है।

 

"वे तुम्हारी नदी को मैदान बना जायेंगे" शीर्षक से लिखी कहानी का सच और भी वीभत्स और विकराल रुप में सामने आया है। विकास के नाम पर आदिवासी समाज की साफ-सुथरी, निर्मल जीवनदायी नर्मदा नदी को खत्म कर दिया गया है। जिस नर्मदा जल को पिए बिना तृप्ति नहीं होती थी अब उसमें नहाना भी नहीं सुहाता। आचमन तक में प्रयास कम से कम पानी के इस्तेमाल का होता दिखाई देता है।


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यात्राओं से उपजी सच्ची कहानियां

यात्रा-अनुभवों की इस किताब में 'न्यू इंडिया', 'स्मार्ट सिटी' के दौर में 'भारत माता ग्राम वासिनी' की यात्रा है। शिरीष खरे ने लंबे समय तक पत्रकारिता की है और जमीनी पत्रकारिता की है। इस किताब के स्थलों, पात्रों से परिचित होना अभाव भरे भारत के उस रूप से परिचित होना है जो न जाने कब से उपेक्षित है, वंचित, अपने पहचान के लिए, अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चाहे वे महाराष्ट्र के मेलघाट के कुपोषित, संघर्षरत आदिवासी हों या मुंबई के कमाठीपुरा की सेक्स वर्कर्स के जीवन की कथाएं।

 

कमाठीपुरा और नागपाड़ा के जीवन की बहुत अंतरंग झांकियां हैं इस किताब में, उस रहस्यमय रूमान से अलग जो ऐसे इलाकों को लेकर हमारी कल्पनाओं में रहा है या जितना हमने वेश्याओं के किस्से कहानियों से जाना है। किताब में मराठवाड़ा की घुमंतू जनजातियों के जीवन के दृश्य हैं, नट समुदाय, मदारी समुदाय के जीवन को लेखक ने करीब से देखा और उनके बारे में मार्मिक ढंग से लिखा है। जो बंजारे अपनी कला से कभी लोगों का मनोरंजन करते थे आज उनको देश के आम नागरिक के अधिकार भी नहीं हैं।


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महाराष्ट्र का मराठवाड़ा गन्ना उत्पादन के लिए जाना जाता है लेकिन वहां के गन्ना मज़दूरों की सुध कौन लेता है? आज भी उनके साथ गुलामों सा बर्ताव किया जाता है। लेखक का यह सवाल उचित है कि 'क्या हमारा सिस्टम मज़दूर को नागरिक बनने से रोकता है।'

 

वहीं, पुस्तक में बस्तर के जीवन और राजनीति के द्वंद्व से जुड़ी कथाएं हैं, अमरकण्टक का बदलता पर्यावरण है। यह एक पत्रकार के अंदर के साहित्यकार की किताब है जिसकी दर्जन भर कथाएं किसी लम्बे शोक गीत की तरह हैं- उदास और गुमनाम। 'राजपाल एण्ड सन्स', नई दिल्ली से प्रकाशित यह किताब यात्रा की तो है लेकिन ऐसी यात्राओं की किताब है जिन पर हम अक्सर निकलना नहीं चाहते, ऐसी लोगों की किताब जिनको हम देखते तो हैं पहचान नहीं पाते, जिनके बारे में जानते तो हैं मिलना नहीं चाहते!

 

 

पुस्तक का नाम: एक देश बारह दुनिया

लेखक: शिरीष खरे

श्रेणी: कथेत्तर, रिपोर्ताज (समाज व संस्कृति)

पृष्ठ: 208

प्रकाशक: राजपाल एंड सन्स, नई-दिल्ली

 

पुस्तक अमेजॉन पर उपलब्ध है: BUY BOOK AT AMAZON



नोट : इस लेख की सभी जानकारीयां शिरीष खरे जी से ली गयी है.

 


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