मैं कौन हूँ.?
मेरा नाम 'गुलशेर अहमद' है, मैं बिहार के सिवान जिले के हुसैन गंज थानान्तर्गत “जमाल हाता” गाँव में जन्मा और यहीं से मेरी स्कूल और मदरसे की पढाई शुरू हुई. 12वीं तक मैंने सिवान शहर से पढाई की. फिर मैं अपनी इंजीनियरिंग के लिए भोपाल चला गया और 2019 में इंजीनियरिंग पूरी हुई.
नाम के लिए कैंपस सिलेक्शन भी
हुआ लेकिन वो जॉब पसंद नहीं आई इस लिए भटकना पसंद किया, 6 महीने में ऐसा पता चला
कि ENGINEERS के लिए आज-कल जॉब कितनी मुश्किल हैं तो मैंने गुरुग्राम में एक B.P.O.
में एक बैंक के लिए जॉब कर ली. एक साल में ही वहां से भी दिल उब गया तो जॉब छोड़ कर
घर आ गया. अब आज-कल घर पर ही हूँ और समय बर्बाद कर रहा हूँ.
मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ.?
मुझे लिखना पसंद हैं. मुझे किताबें पढना भी पसंद हैं. समाज में हो रही
घटनाओ पर जब कभी दिल करता है तो लिखता हूँ, जब कभी नहीं दिल करता तो नहीं लिखता हूँ.
समाज को साहित्य ही बदल सकता है. साहित्य समाज का आईना होता है. मैं उसी आईने के
साथ खड़ा हूँ. कभी खुद को इस आईने में देखता हूँ तो कभी-कभी मेरे पास से गुजरने
वालों को इस आईने में देखने के लिए बोलता हूँ, बस.
पुस्तक समीक्षा लिखता हूँ. जब किताबें पढता था तो ये लिखना शुरू किया
और जब मेरी पहली किताब “रेलवे स्टेशन की कुर्सी” (कहानी संग्रह) आयी तो लोग मेरी
किताब की समीक्षा लिखने के लिए 500 से 1000 रूपए तक की बात किए तो मैंने समीक्षा
पर अधिक धयान दिया और फ्री सेवा शुरू की... शर्ते यहाँ पढ़ सकते हैं.
समाज में मेरी स्थिति ?
मैं नहीं मानता कि इस समाज में अभी मैंने कोई जगह बनाया है और न ही
मैं चाहता हूँ कि मेरी कोई ऐसी जगह बने जिससे कोई आकर्षित हो. सभी की अपनी-अपनी
शक्तियां और सोच है और सब अपनी समझ और सोच से समाज में राय देते हैं. मैं बस समाज
में इतनी ही जगह बनाना चाहता हूँ कि जब मैं किसी से मिलूं तो सामने वाला अपनी
कुर्सी पर बैठ कर ही मुझसे न मिले.
जब स्कूल में पढता था तो मैंने एक Quiz जैसे किसी
समारोह में हिस्सा लिया था जिसमे मुझे प्रोत्साहन प्रमाणपत्र के साथ एक मैडल भी
मिला और जब कॉलेज में था तब मैंने कुछ समारोह में अपनी कविताएँ और नज्मे-ग़ज़लें
पढ़ीं तो वहां भी प्रोत्साहन प्रमाणपत्र मिले.
जीवन में कोई उपलब्धि ?
मुझे नहीं पता कि जीवन में ऐसा क्या मिलता है तो
उसे एक उपलब्धि कहते हैं लेकिन यदि अपनी बात करूँ तो एक किताब “रेलवे स्टेशन की
कुर्सी” लिख चूका हूँ जो राजमंगल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है. अभी एक उपन्यास पर
काम कर रहा हूँ जो शायद आने वाले एक साल में पूरा हो जाएगी.
फेसबुक पर 4000+ और इन्स्टाग्राम पर 1100+ और साथ
ही ट्विटर पर भी 600+ लोग जुड़ गए हैं तो इसे भी मैं एक उपलब्धि ही मानता हूँ बाकि
ऐसे ही पढ़ते-पढाते एक YOUTUBE चैनल खोल लिया था तो वहां भी लगभग दस हजार (10K+)
लोग जुड़ गए हैं तो इसे भी एक उपलब्धि मानकर चलता हूँ.
आप वेबसाइट के साथ लगे सभी लिंक से जा कर जाँच कर
सकते हैं. यहाँ निचे भी लिंक दे रहा हूँ.
मेरे बारे में इतना पढने के लिए धन्यवाद. यदि
आपको ये पसंद आए तो मुझे बताईये. मेरा काम पसंद आए तो मुझे ज़रूर बताईये. अपनी बात
मुझ तक पहुचने के लिए पता निचे रहा.
GULSHER AHMAD (एडमिन)
Phone: 8982731367 (WhatsApp)
धन्यवाद
KYA BAAT HAI,, WISHING YOU VERU GOOD LUCK,,
ReplyDeleteThank you so uch tabarak bhai.!!!
DeleteBahut achhe gulsher bhai
ReplyDeleteThank you so much Bhai 🙏
DeleteThank you so much Bhai 🙏❤
ReplyDeleteamaing gulsher bhai
ReplyDeleteThank you so much..!
DeleteGood to see you.. keep writing and inspiring.
ReplyDeleteThank you so much.
DeleteWah bahut khoob ....
ReplyDeleteApne jiwan ki sachayi likhi hai avi tak
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