'https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> किताब की बातें : मुरकियाँ

 

किताब की बातें” : मुरकियाँ

आज किताब की बातेंकॉलम में हम बात करेंगे युवा लेखिका “उपमा डागा पार्थ” जी की पहली कविता संग्रह   “मुरकियाँ” की। ‘उपमा’ जी अपनी किताब के पहले पन्ने पर ही लिखती हैं कि ये कविताएँ सिर्फ शब्द नहीं, एहसास हैं. अब तक इस किताब को पाठको ने खूब सराहा है। प्रस्तुत कृति मुरकियाँ उनका पहला ‘काव्य संग्रह’ है जिससे उन्होंने समाज में व्याप्त कई कुरीतियों की तरफ तो ध्यान आकृष्ट किया ही है, साथ ही साथ मानव हृदय के कई सूक्ष्म भावों को भी छुआ है। आज हम इसी के बारे में बात कर रहें हैं। ये किताब ‘राजमंगल प्रकाशन’ से प्रकाशित हुई है।

 

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·         Publisher :  Rajmangal Prakashan; First edition (3 March 2021)

·         Language :  Hindi

·         Paperback :  126 pages

·         ISBN :  978-9390894284

 

 

पुस्तक परिचय:


कभी लफ्ज़ बोएं हैं
आंसुओं से रुंधे, जिंदगी से भरेखिलखिलाते, चहचहातेखामोश या फिर अनकहे ये लफ्ज़ जब बोए जाते हैं, तो कविताओं की कोंपलें फूटती हैं। पर हर कोंपल नरमाई ही लिए हो यह जरूरी नहीं। कुछ तो इतनी तीखी होती हैं, कैक्टस की तरह, कि अंदर तक छलनी कर देती हैं। और कुछ मखमली एहसासों वाली कविताएं, इतनी अपनी सी लगती है कि पढ़ते-पढ़ते एक मुस्कान चेहरे पर आ ही जाती है। बस यही एहसास है मुरकियाँ -- आपके, मेरे और इस समाज के। एक और बात... मुरकियाँ यूं तो संगीत से जुड़ा शब्द है; स्वरों का उतार-चढ़ाव, कहीं छोड़ने, कहीं थमने, कहीं रुकने की प्रक्रिया है मुरकियाँ। उपमा डागा पार्थ की यह कविता संग्रह भी जीवन के इसी उतार-चढ़ाव से रूबरू करवाता है, जहां ख्वाहिशें, ख्वाब और हकीकत सब अलग-अलग होते हुए भी साथ-साथ चलते हैं।  


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लेखिका का परिचय:


उपमा डागा पार्थ



·         उपमा डागा पार्थ मूल रूप से अमृतसर, पंजाब से ताल्लुक रखती हैं। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से वाणिज्य में स्नातक और प्रशिक्षित कॉस्ट अकॉउंटेंट होते हुए भी उन्होंने अपने लिखने के जनून को प्राथमिकता देते हुए पत्रकारिता को ही पेशे के तौर पर अपनाया। उपमा, वर्तमान में, पंजाब के प्रमुख समाचार पत्र अजीत के दिल्ली ब्यूरो में कार्यरत हैं और राष्ट्रीय राजनैतिक परिवेश, पंजाब से जुड़े मुद्दों और सामाजिक मामलों पर पैनी नज़र रखती हैं। ‘मुरकियाँ’ उनका पहला काव्य संग्रह है जिससे उन्होंने समाज में व्याप्त कई कुरीतियों की तरफ तो ध्यान आकृष्ट किया ही है, साथ ही साथ मानव हृदय के कई सूक्ष्म भावों को भी छुआ है।

 

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पाठक क्या कहते हैं.?


‘दिया डग्गा’ अमेज़न डॉट कॉम पर लिखती हैं कि ये किताब जीवन से जुडी बेहतरीन कविताओं की किताब है. निचे उनकी समीक्षा पढ़ें.

मैं उपमा डागा पार्थ की कहानियां और लेख पंजाबी में अजीत अखबार में सालों से पढ़ते आ रही हूं। हिन्दी में उनकी रचना पढ़ने का यह पहला मौका है। हिन्दी में भी बेहतरीन हैं उनकी कविताएं, जीवन से जुड़ी हुई। कुछ कविताएं हाल की घटनाओं से जुड़ी हुई हैं, जो उपमा जी की काव्यात्मक प्रतिक्रिया है। कई कविताएं आज की Working Women की समस्याएं बयां करती है, तो कुछ उनकी पत्रकारिता जीवन से जुड़ी। जरूर पढ़े।


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‘संजना’ अमेज़न डॉट कॉम पर लिखती हैं...

जीवन के खट्टे मीठे एहसासों को शब्दों में पिरोती खूबसूरत कवितायेँ। इनकी भाषा सरल और वास्तविकता से जुड़ी हुई है. शब्दों का चयन बहुत ही खूबसूरत ढंग से किया गया है, हर कविता अपने आप में अलग ही कहानी लिए हुए है, जिससे कि पाठकों को आसानी से इनसे जुड़ा हुआ होने का एहसास होता है.

 

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