'https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> किताब की बातें : ज़िन्दगी रेल सी

 

किताब की बातेंज़िन्दगी रेल सी

 

आज किताब की बातेंकॉलम में हम बात करेंगे युवा लेखक और उपन्यासकार “पुरुषोत्तम कुमार” जी के पहले उपन्यास “ज़िन्दगी रेल सी” की। ये किताब ग्रामीण परिवेश की खींचातानी के साथ सरकारी विद्यालय, हिंदी माध्यम और आर्थिक रूप से जूझ रहे परिवार से निकलकर अपने सपने को जिने वालों की एक अलग कहानी है। अब तक लेखक के इस कृति को पाठको ने खूब सराहा है। प्रस्तुत कृति इनका पहला उपन्यास है और आज हम इसी के बारे में बात कर रहें हैं। ये किताब Notion Press से प्रकाशित हुई है।

 

·         Publisher :  Notion Press; 1st edition (16 June 2021)

·         Language :  Hindi

·         Paperback :  108 pages

·         ISBN :  978-1639578504

 

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पुस्तक परिचय



ग्रामीण परिवेश की खींचातानी के साथ सरकारी विद्यालय, हिंदी माध्यम और आर्थिक रूप से जूझ रहे परिवार से निकल के जब कोई छात्र शहर पढ़ने जाता है तब उसके सामाजिक और आर्थिक संघर्षों के बीच की तालमेल को शब्दों में पिरोने की और आबादी की भार ढोती प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र जो विशेष कर गांव-देहात से आते है उनकी जिंदगी को चित्रित करने की छोटी सी कोशिश है जिंदगी रेल सी। ‘जिंदगी रेल सी’ रघु नाम के एक लड़के की कहानी है जो बिहार के एक सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से पटना शहर आईआईटी की तैयारी करने जाता है जिसके पिता कोचिंग की फीस भरने के लिए एक भैंस बेच देते हैं, सवाल यह है कि क्या रघु अपने पिता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा या फिर अपने पिता के अरमानों और उम्मीदों को टूटते हुए देखेगा।

 

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लेखक का परिचय

पुरुषोत्तम कुमार


पुरुषोत्तम बिहार राज्य के पटना जिले से हैं। बिहार बोर्ड के हिंदी माध्यम से इंटर की पढ़ाई पूरी करके वर्तमान में देहरादून के एक निजी विश्वविद्यालय में वास्तुकला से स्नातक की पढ़ाई कर रहे है। लम्बे अरसे से सोशल मीडिया पर विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर लिखते रहे हैं। ‘जिंदगी रेल सी’ इनकी पहली किताब है।


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पुरुषोत्तम कुमार जी के दिल से निकली ये पुस्तक आशा है आपको पसंद आएगी.

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