लेखक: रोहन कुमार
प्रकाशक: राजमंगल प्रकाशन
राजमंगल प्रकाशन बिल्डिंग, 1st स्ट्रीट,
सांगवान, क्वार्सी, रामघाट रोड,
अलीगढ उप्र. - 202001
पहला संस्करण: अप्रैल 2021
ISBN: 978-9390894567
उस शहर के नाम
जिसने मोहब्बत के सिवा
सब कुछ दिया...
इन्ही पंक्तियों के साथ किताब शुरू होती है। ये पंक्तियाँ किताब
के पहले पन्ने पर लेखक ने अंकित किया है और किताब को उस शहर को समर्पित कर दिया
हैं जिस शहर में उसकी अधूरी मुहब्बत का पता चलता है। इन पंक्तियों को
पढ़ते ही आपके मस्तिष्क में कहानी का एक प्रतिबिम्ब ऐसा बनना शुरू होता है जिसमे प्रेम
ही प्रेम है। रोहन ने इस प्रेम
और प्रेम पीड़ा को बहुत खूबसूरती से लिखा भी है। केशव और शामली,
मिश्रा और माया, उज्जवल भैय्या और मीनू का प्यार और इनके आस-पास के किरादोरों से
भी खूब प्रेम कराया, लेकिन इस उपन्यास में और भी बहुत सारे सामाजिक और छात्र
राजनीती के मुद्दे जोड़कर कहानी को बहुत रोचक बना दिया है।
“चाइल्ड एब्यूज” जैसे बहुत ही संवेदनशील मुद्दा उठाया है। समाज में आबरू और
इज्ज़त बचाकर कायम रखने के लिए लोग चुप हो जाते हैं, भले ही उसकी वजह से पूरा परिवार
बिखर जाये और गुनाहगार खुला घूमता रह जाता है। किताब का नाम “मल्कागंज का देवदास”
इस लिए भी है कि रोहन दिल्ली के मल्कागंज में अपने जीवन के बहुत महत्वपूर्ण कॉलेज
तीन साल बिताएं हैं।
बहुत लम्बी उपन्यास नहीं होने के बाद भी बहुत ज़रूरी मुद्दे पर ये
कहानी बात करती है। और जो हम सभी अपने
कॉलेज के दिनों में करते हैं उस पर खुल कर और बेझिझक रोहन ने लिखा गया है। प्रेम, दोस्ती, अपनापन, नाटक, और
छात्र राजनीती भी खूब लिखा है।
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लेखक का परिचय :
बिहार के पुपरी में पैदा हुए रोहन कुमार
पिछले छह सालों से रंगमंच से जुड़े हुए हैं। कॉलेज के दिनों से ही इनकी रुचि अभिनय
के साथ– साथ कविता, कहानी और नाटक लिखने में रही है। साल 2018 में दिल्ली
विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद “परिंदे थिएटर
ग्रुप” से छात्र के तौर पर जुड़ें थे और अब वहीं नए बच्चों को अभिनय
सिखाते हैं। “मल्कागंज वाला देवदास” इनका पहला उपन्यास
है। अभी तक तीन नाटक लिख चुके हैं जिसका मंचन इन्होंने अपने ही निर्देशन में किया
है।
“मेरा लेखक होना मुझे दुख देता है।”
“कितना दुख?”
“उतना जितना तुमसे दूर जाने पर भी नहीं हुआ था।”
मैंने झूठ कहा और वह समझ गई। हम बहुत समय के बाद मिल रहे थे। वह आज भी उतनी ही सहजता से मेरी आँखों में देख लेती है जैसे पहले देखा करती थी। मैं नहीं देख पाता हूँ।
“यार बहुत अकेला हो गया हूँ। एक बंदा नहीं है मेरे पास दुख बाँटने के लिये।”
“सबका यही हाल है। इतना मत सोचो।”
“क्या हम फिर से साथ नहीं हो सकते हैं?”
“बार-बार वही सवाल! तुम्हें मेरा जवाब मालूम है।”
“यार ऐसे मत बोलो। एक बार मेरी जगह रहकर सोचो।”
“ठीक है...सोचूँगी।”
“किताब से”
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आप को ये किताब क्यों पढ़नी चाहिए?
केशव
जो कि इस किताब का मुख्य पात्र है, उसे
हमेशा से एक ऐसे शहर की तलाश थी जहां उसे कोई नहीं जानता हो। जब एक ही शहर के बहुत
सारे लोग हमें जानने लग जाते हैं तो वहां जीवन जीना कठिन लगता है। केशव अपने पिता
से भागता है, अपने घर से भागता है और पढाई को इसे अपने जरिया बना कर दिल्ली चला
जाता है, वहां उसे मिलता है उसका प्रेम और प्रेम का पीड़ा...क्या हैं पिता से दूर
भागने की वजह? और क्या हैं प्रेम का पीड़ा? ये जानने के लिए आप इस किताब को पढ़ें।
यह किताब उसी प्रेम के नाम है, उसी
प्रेम पीड़ा के नाम है। प्रेम के ढर्रे पर चलते हुए इंसान के भीतर पैदा होने वाले
बदलाव के नाम है जो प्रेम ही ला सकता है।
रोहन कुमार |
आपको किताब में क्या कमी लग सकती है।
किताब पढ़ते हुए ऐसा
जरुर महसूस होता है कि लेखक ने जल्दबाजी की है और जल्दी-जल्दी कहानी को ख़तम करने
लगे है। मुझे ये उपन्यास पढ़ते हुए महसूस हुआ कि जितने भी इस कहानी के पात्र हैं
उन्हें और विस्तरीत रूप से लिखा जा सकत था, और खासकर शरद का किरदार। और शरद का
किरदार जिस लिए लिखा गया है वहां शायद लेखक से थोड़ी चुक जरुर हुई हैं। मुझे पढ़ कर
लगा कि शायद शरद कोई जादूगर है या फिर लेखन ने इस उपन्यास का दूसरा खण्ड लिखने का
सोचा होगा इस किए भी ऐसा उस किरदार को लिखा गया होगा। बाकि कहानी के सभी पात्रों
के साथ लेखन ने बहुत सफलता से आज के सामाजिकरण का उल्लेख किया हैं।
इस किताब से कुछ पंक्तियां जो बेहद ख़ूबसूरत और दिल के क़रीब जा बसी।
“जब एक ही शहर
के बहुत सारे लोग हमें जानने लग जाते हैं तो वहां जीवन जीना कठिन लगता है.”
“इश्वर ने
स्त्रियों की संरचना ऐसे की है कि वे पुरुष से पहले ही परिपक्व हो जाती हैं.”
“अपनी कहानी में हर कोई हीरो होता है लेकिन हम सब हर दुसरे शख्स की
कहानी में सहायक किरदार की भूमिका निभा रहे होते हैं.”
“लिखते समय हम कभी भी अकेले नहीं होते, एक पूरा ब्रह्माण्ड हमारे भीतर
समय हुआ होता है.”
“प्रेम में सबसे पहली चीज जो हम महसूस करते हैं वो होता है बदलाव.”
नोट: इस समीक्षा में संलग्न सभी तस्वीरें रोहन क्ले सोशल मीडिया एकाउंट्स से उनकी जानकारी में ली गयी है.
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