'https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> "दिल्ली और तब्लीगी जमाअत"

"दिल्ली और तब्लीगी जमाअत"



कुछ दिनों से हमारा देश बहुत ही बुरी बीमारी से ग्रस्त है और हम सब देशवासी इससे लड़ रहें हैं। ये बीमारी बहुत ख़तरनाक है और सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि ये अदृश्य है। अभी तक इस बीमारी का, इस वायरस का कोई एंटीटोड नहीं बनाया जा सका है।
आसान भाषा में कहें तो इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज़ नहीं ढूँढा जा सका है। इसी कारण से अभी भी देश दुनियाँ के लोग बहुत डरे-सहमे और भयभीत हैं। परेशान हैं।

अभी हम सभी देशवासी इस बीमारी से लड़ ही रहे हैं कि हमारे देश में हमेशा की तरह हिन्दू-मुसलमान से इस बीमारी को जोड़ दिया गया।
दिल्ली, मुस्लिम समुदाय के तब्लीगी जमाअत का मरकज़ (केंद्र) है। तब्लीगी जमाअत पर यह तोहमत लगाया गया कि इनके वज़ह से ये वायरस पूरे देश में फैल रहा है।
वायरस क्या समुदाय या मज़हब देखता है?

सबसे पहले हम समझते हैं कि तब्लीगी जमाअत क्या है?


तब्लीगी जमाअत:-
 मुस्लिम समुदाय का एक हिस्सा है जिसके द्वारा लोग अलग-अलग जगहों पर इकट्ठा हो कर अपने धर्म के विचारों पर चिंतन करते हैं। जो लोग समुदाय से भटक रहे होते हैं उनसे मिलकर उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं। इस तरह से वह व्यक्ति ख़ुद भी सीखता रहता है और ख़ुद को परिपक्व बनाता रहता है। इसके द्वारा मुस्लिम समुदाय अपना धर्म प्रचार भी करता रहता है।
        हज़ारों लाखों लोगों का जमावड़ा होना होता है तो ज़ाहिर है कि बड़े स्तर पर मैनेजमेंट की ज़रूरत पड़ती है और इसी कारण से हर जगहों पर सरकारी आदेशानुसार ही यह इवेंट किया जाता है। मतलब तब्लीगी जमाअत के लोग इकट्ठा होते हैं तो सरकारी आदेशानुसार के बाद ही।
  ज़रूरत के हिसाब से ये लोग अपने कुछ लोगों की टीम के साथ विदेशों की यात्राएँ भी करते रहते हैं और देश के कोने कोने में इन छोटी छोटी जमातों का देख रेख एक केंद्र से होना चाहिए।
चुकि दिल्ली, देश की राजधानी है, तो यहीं दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तब्लीगी जमाअत का मरकज़ (केंद्र) है।


तब्लीगी जमाअत पर सवाल क्यों?


जब तक देश में लॉक डाउन नहीं हुआ था, तभी से तब्लीगी जमाअत का एक कार्यक्रम होना तय था। जो अपने तय समय पर शुरू हुआ, तब देश में सब नॉर्मल था, सबकुछ चल रहा था। लेकिन जब बीमारी का पता चला कि यह अपना पैर फैलाने लगी है तो लॉक डाउन लगा कर सभी को उन्हीं के जगहों पर रोक दिया गया।
        तब्लीगी जमाअत के लोग भी वहीं रुके रहें। जहाँ तक जानकारी मिलती है तो, तब्लीगी जमाअत के ज़िम्मेदारों ने निज़ामुद्दीन के S.H.O को लेटर लिखा और सारी बातों की जानकारी दी, लेकिन कोई भी एक्शन नहीं लिया गया। तब जितने भी तब्लीगी जमाअत में लोग थे वहीं रुके रहें, जिसमें विदेशी लोग भी थे,,, इन्हें छिपे होना बताया गया।
जब बीमारी ने अपना पैर फैलाना शुरू किया तो लोगों ने अपनी अपनी नज़रिए से तब्लीगी जमाअत को भला बुरा कहना शुरू कर दिया।

देश को धर्म के आधार पर क्यों बांटा जा रहा?


देश में हिन्दू मुसलमान की गलतियाँ ढूंढ़ते रहते हैं और मुसलमान हिंदुवो की, और इसी का फ़ायदा उठाती हैं राजनीतिक पार्टियाँ।
यहां भी यही हुआ, और बीच में राजनीतिक पार्टियों ने अपने वोट बनाने के लिए अपनी अपनी चालें चली और हिन्दू मुस्लिम का मुद्दा बना दिया गया।
देश धर्म के आधार पर तब बट गया जब देश में बीमारी से पीड़ित लोगों का आंकड़ा बताया गया और उसमे तब्लीगी जमाअत के आंकड़े अलग से बताए जाने लगे जिसने इसे धर्म के आधार पर बाँट दिया। जो कि सरासर ग़लत है।

शहर दिल्ली, तब्लीगी जमाअत का केन्द्र तो है ही, राजधानी होने की वज़ह से और भी हज़ारों यहाँ धार्मिक कार्य होते रहे हैं।  इस महामारी में हम सभी हिन्दुस्तानियों को चाहिए कि एक साथ, एक होकर इस बीमारी का मुक़ाबला करे, ना कि किसी जाति, किसी मज़हब की निन्दा करे।
हर इंसान का परिवार है और सभी को अपनी और अपनों की जान प्यारी है।
मैं आग्रह करूंगा कि आप सब अपने घर पर सलामत रहें, नकारात्मकता से बचे, और हो सके तो सकारात्मकता फैलाएं।


3 Comments

  1. Kya baat likho ho bhai.. bahut sahi baat hai.. haqiqat bayani hai ye.

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  2. waah bhai sahab,,, bahut achha samjhaye hain//

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