'https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> दोस्ती का पेड़
दोस्ती का पेड़।



मेरा घर मेरे कॉलेज से 1000 किलोमीटर दूर था। हम सभी दोस्त कॉलेज में मिले, मेरे गाँव के पड़ोस के गाँव से भी एक लड़का मिला और कुछ लड़के उसी काॅलेज के शहर के।

हम सब के बीच में दोस्ती का बीज कॉलेज में ही पड़ा। जब हम क्लास में आने लगे तो वो बीज अंकुरित हो गया, जैसे जैसे कॉलेज बढ़ता गया हमारी दोस्ती का बीज अंकुरण से पौधा और पौधे से कब पेड़ बना, पता ही नहीं चला। ये दोस्ती का पेड़ बहुत मजबूत था। अब कॉलेज ख़तम होने के बाद पता नहीं इस दोस्ती के पेड़ को क्या हुआ है।
शायद सुख गया है, नहीं शायद पतझड़ का मौसम झेल रहा है। सुख भी गया हो तो मैं इसे पतझड़ का महीना ही कहता हूँ और ख़ुद को यक़ीन दिलाता रहता हूं कि कुछ दिनों बाद इसकी डालियों में नए पत्तो का अंकुरण शुरू होगा और ये पेड़ फिर से हरा भरा और रंगीन हो जाएगा लेकिन होता ही नहीं।
क्या हर रिश्ता पेड़ की ही तरह होता है? क्या हर रिश्तों में पेड़ की तरह पतझड़ का मौसम आना ज़रूरी है? कुछ हद तक हो सकता है।

मैं देखता हूँ, बातों को समझने की कोशिश करता हूं,,, इस दोस्ती के पेड़ की कोई भी डाली इस बात से इंकार नहीं करती कि वो अब साथ नहीं है, या साथ रहना नहीं चाहती। वो डाली कभी ये खबर ही नहीं होने देती कि कोई लकड़हारा उसे इस पेड़ से काट रहा है।

ख़ैर... इस पेड़ के कमज़ोर होने की बात कहाँ से आती हैं। हर बात पर मुस्कुरा कर हाँ कहना, कम से कम दोस्ती में सिर्फ हाँ कहना,, और शिकायतों का न होना भी रिश्तों का कमज़ोर होना दिखाता है। मैंने इस पेड़ को अंकुरित होते, अंकुरण से पौधा और पौधे से पेड़ बनते देखा है। जड़ों को जमते देखा है।

कॉलेज ख़तम हो गया है। सब अपनी ज़िन्दगी में व्यस्त हो गए है। सबकी व्यस्त्थाएँ सबको अलग कर रही है। मैं जब भी अपने दोस्तों को फोन लगाता हूँ सब ख़ुशी ख़ुशी बात करते हैं। कोई शिकायत ही नहीं करता। कोई भी ये बात कहता नहीं ही लेकिन सभी ने एक दायरा बना रखा है।
सब कहते हैं कि हर रिश्तों का दायरा होता है। इन्सान को चाहिए कि रिश्तों में दायरे का बहुत ख़्याल करे, इसका लिहाज़ करे लेकिन मुझे लगता है कि सारे दायरों को तोड देना ही दोस्ती है।

दोस्ती में कोई दायरा, कोई लिहाज़ नहीं होती। दोस्तों की मंडली ही है जहाँ जेब में एक रुपया भी नहीं, फ़िर भी इन्सान सबसे अमीर होता है।
उसके कुछ भी कहने में, गुस्सा करने में, सेक्रेट्स बताने में, गालियाँ देने में, बातें करने में, हँसने में, कभी भी, किसी भी बात का डर नहीं होता,
जबकि हमे पता होता है कि हमारा सबसे ज़्यादा मज़ाक भी इसी मंडली में उड़ाया जाएगा।

मैं आज जब भी अपने कॉलेज के किसी दोस्त को कॉल करता हूँ तो एक अजीब तरह का बेगानापन महसूस होता है। अपनापन दिखता ही नहीं।
सब बहुत फॉर्मल रहते हैं, एक दूसरे का लिहाज़ करते हैं। अपनी जितनी खुशियाँ बता सकते हैं बता देते हैं, किसी को कोई परेशानी ही नहीं रहती, जबकि उसके उलट एक सच्चाई ये भी है कि कोई भी इन्सान परेशानियों से बच नहीं सका है।

दोस्ती तो वो होती है जो बड़ी से बड़ी परेशानियों को कुछ पल में हरा देती है। जब दोस्त मिल जाते हैं तो परेशानियाँ, दुख और दर्द तो ऐसे दूर हो जाते हैं जैसे सूर्योदय हो जाने से दूर हो जाता है अंधेरा।

सभी का एक बहुत करीबी दोस्त होता है, मेरा भी है। वो मेरे गाँव के पड़ोसी गाँव का है। मैंने कभी भी किसी एक को ख़ास नहीं बनाया, सब कुछ ख़ुद ब ख़ुद होता गया, या ये कहें कि सबने अपनी अपनी कंफरटेबल के हिसाब से दोस्ती की। मुझे दोस्ती में माप तौल आया ही नहीं।

ख़ैर....उससे हमेशा बात होती है, वो इस पेड़ को सूखने या मारने नहीं देता। वो अब अपना सा लगता है। जो कॉलेज के शहर के थे या कॉलेज के आस पास के शहर के, वो तो बात भी बहुत कम करते हैं और जब करते भी हैं तो ऐसे जैसे की पराएं हो।
क्या दोस्त भी पराएं हो जाते हैं?

अब किसी का भी जल्दी फोन नहीं आता, अब तो मैंने भी करना बंद कर दिया है। कितनी दफा किया जाए। हमेशा उम्मीद लगी रहती है कि किसी का एक फोन आ जाए और वो पूछ ले,,,
क्या बे, कैसे हो?
ये ही एक सवाल सारी परेशानियों को ख़त्म कर देगी, लेकिन ऐसा नहीं होता। मैं हमेशा अपना फोन लिए बैठा रहता हूँ और दोस्तों के नम्बर्स निहारता रहता हूँ, कॉल हिस्ट्री चेक करता हूं तो उनके नम्बर्स का इंकॉमिंग दिखता ही नहीं है।
फिर सोचता हूँ कि वो दोस्ती का पेड़ मर गया या अभी भी पतझड़ का मौसम चल रहा है। फिर सोचता हूँ कि ज़िन्दगी भी तो सालों लम्बी है तो शायद इसका पतझड़ भी कुछ सालों का होगा।
 ये पतझड़ जल्दी ही ख़त्म हो जाएगा और ये दोस्ती का पेड़ फिर से हरा भरा हो जाएगा। हम सभी इस पेड़ को मारने नहीं देंगे।
कम से कम मैं तो नहीं।

आइए, कुछ यादों पर एक नजर डालते हैं।
https://youtu.be/KXjJd2TXI8M

https://youtu.be/rHMM0sbOtUs

https://youtu.be/iv7AdEgQj-Q

https://youtu.be/jUzmZz7kSXY

https://youtu.be/9V5-Gqr7wX0

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