किताब की बातें : रंग आँसुओं के
आज “किताब की बातें” कॉलम में हम बात करेंगे लेखक “राजेश कुमार” जी के उपन्यास “रंग आँसुओं के” की। यह एक कविताओं का संग्रह है जिसमे रंग को कविता के माध्यम से कहने की कोशिश की है. कवि जहां दवातो में लहु जोड़ता है, लिखने के लिए दर्द को जीता है वहीं “टिंडर” और “गर्ल पार्टी” जैसी रचनायें चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं। “सिक्के” एक ऐसी रचना है जो आज के समय में पैसो के पीछे की भागदौड़ और इसकी सही जरूरत को बयान करती है. हर कोई जिसने ज़िंदगी में कभी प्यार किया है वो इस पुस्तक जो अवश्य पढ़े। जिसने प्यार नहीं किया वो भी इसे पढ़ें, ये जानने के लिए कि वो क्या-क्या खोने और पाने सें वंचित रह गया। अब तक इस पुस्तक को पाठको ने खूब सराहा है और यह पुस्तक Amazon की बेस्टसेलर में रही है। प्रस्तुत कृति लेखक की पहली पुस्तक है और आज हम इसी के बारे में बात कर रहें हैं। ये किताब “राजमंगल प्रकाशन” से प्रकाशित हुई है।
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Publisher: राजमंगल प्रकाशन
Language: Hindi
Paperback: 99 Pages
·ISBN: 978-93-91428-42-6
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लेखक परिचय:
लेखक राजेश गुप्ता, Chartered Accountant हैं और वर्तमान मे दिल्ली की एक संस्था मे Chief Financial Officer के पद पर कार्यरत
हैं. कॉलेज के दिनो से ही कविता लिख रहे हैं. इस किताब में भी कवि ने प्यार/इश्क़, जुदायी, बेवफाई, इज़हार, नफ़रत, अकेलापन, रिश्ते, मिलन, उम्मीद और नाउम्मीद
हर रंग को कविता के माध्यम से अपनी बात कहने की कोशिश की है.
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पाठक क्या कहते हैं?
अमेज़न डॉट कॉम पर इस पुस्तक "रंग आँसुओं के" के बारे में एक व्यक्ति ने "ज़िंदगी में किताबें पढ़ना बहुत ज़रूरी है. ये वही एक किताब है" कहा है और साथ ही एक छोटी समीक्षा लिखी। यहां पढ़ें।
Till today I have read books of known poets. A friend suggested this book. Every word seems to be real. The author has poured his life & experience on paper. A must read!
अमेज़न डॉट कॉम पर ही एक अन्य पाठक "विकाश"
जी ने इस पुस्तक "रंग आँसुओं के" को "एक बेहतरीन पुस्तक" लिखा और
एक छोटी सी समीक्षा भी साझा की। आप यहां पढ़ें:
अगर आप हिन्दी कवितायें नहीं भी पढ़तें हैं तो भी इस बुक को try करें it will change your prospective towards Hindi poetry. A must read.
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