'https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> “किताब की बातें” : अंगूठी का भूत.

  “किताब की बातें” : अंगूठी का भूत

 

आज “किताब की बातें” कॉलम में हम बात करेंगे लेखक और उपन्यासकार “मनीश शर्मा” जी के पहले उपन्यास “अंगूठी का भूत” की। ये किताब दिल्ली के चांदनी चौक से शुरू होती है और कहानी कई पड़ावों से होते हुए सीधे अपने संदेश की तरफ बढ़ती है। अब तक इस पुस्तक को पाठको ने खूब सराहा है। इससे पहले "मनीश" जी की स्वच्छता मिशन पर व्यंग संग्रह "गंदगी के महारथी" प्रकाशित हो चुकी है। प्रस्तुत कृति लेखक का पहला उपन्यास है और आज हम इसी के बारे में बात कर रहें हैं। ये किताब “मंजुल पब्लिशिंग हाउस एवं प्रतिलिपि” से प्रकाशित हुई है।



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·Publisher‏: ‎ Ekatra - a joint imprint of Manjul & Pratilipi

·Language‏: ‎ Hindi

·Paperback‏: ‎ 128 pages

·ISBN‏: ‎ 978-9390924417



पुस्तक परिचय:



काश! कुछ ऐसा होता कि कोई अपना हमारे पास होता। काश! वो कुछ बदला होता तो बात अलग होती। काश! उसने मुझे समझा होता। ज़िंदगी इसी ‘काश’ के चारों तरफ घूमती है। इस ‘काश’ में बहुत से सपने, बहुत सी उम्मीदें, बहुत सारी संभावनाएं और बहुत सारा दर्द जुड़ा रहता है। इन्हीं से जुड़ी कहानी है ‘अंगूठी का भूत’। पहली नज़र में आपको ये साधारण-सी हॉरर स्टोरी का नाम लग सकता है पर जैसे-जैसे कहानी में आगे बढ़ेंगे तो ये भूत आपको कुछ अलग लगेगा, अंगूठी भी आपको कुछ अलग लगेगी और कहानी बहुत ही अलग लगेगी। जय, नेहा और अनिल आपको अपनी ज़िंदगी से जुड़े लगेंगे। आप इन किरदारों को अपने आस-पास महसूस भी कर पाएंगे। आम किरदारों के साथ जो घटनाएं घटीं वो ही इसे खास बनाती हैं। कहानी कई पड़ावो से होते हुए सीधे अपने संदेश की तरफ बढ़ती है, भटकती नहीं है। ये कहानी ‘काश’ से उपजी ज़रूर है पर रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए अहम मंत्र साथ लिए चलती है। कहानी का बड़ा हिस्सा रूमानियत से भरा है, पर संदेश रिश्तों में आड़े आती सोच पर सीधा प्रहार करता है। जब ये सोच बदलेगी तो काश! की ज़रूरत कम पड़ेगी तथा ज़िंदगी और समाज बेहतर होंगे।


लेखक परिचय:

उपन्यासकार मनीश शर्मा


"मनीश शर्मा" फ़िलहाल न्यूज़ चैनल एबीपी न्यूज में सीनियर प्रोड्यूसर के तौर पर काम कर रहे हैं। पिछले 14 वर्षों से एबीपी न्यूज़ के साथ जुड़े हैं और 20 साल के करियर में करीब 12 साल टीवी पर एंकरिंग की है। स्टार न्यूज़, ज़ी न्यूज़, ई टीवी मध्य प्रदेश और इन टीवी में भी एंकर के तौर पर काम कर चुके हैं। पेशे से पत्रकार हैं लेकिन दिलचस्पी अपने को अभिव्यक्त करने में रही है। स्वच्छता मिशन पर व्यंग्य संग्रह "गंदगी के महारथी" प्रकाशित हो चुका है। शिक्षा में पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी में एमए किया है।



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पाठक क्या कहते हैं?


अमेज़न डॉट कॉम पर इस पुस्तक "अंगूठी का भूत" की कहानी के बारे में "अरबाज़ खान" नाम के एक व्यक्ति ने "उम्दा कहानी" कहा है और साथ ही एक छोटी समीक्षा लिखी।


"चांदनी चौक की पटरियों से अपने बॉयफ्रेंड अनिल के साथ नेहा एक बहुत सुंदर काले पत्थर की अंगूठी खरीदती है। अनिल और उसके बीच के रिश्ते के बारे नेहा के परिवार को मलूम है और दोनो की शादी की बात भी चल रही होती है।


अनिल एक रौब ज़माने वाला लड़का है जो की नेहा से प्यार तो करता है लेकिन उसकी जिंदगी पर काबु करना चाहता है। अंगूठी पहनने के बाद रात में नेहा को अजीब सपने आते हैं। सपने में उसकी मुलाकात जय से होती है, जो कॉलेज में नेहा को रैगिंग से बचाता है। नेहा जय से प्यार करने लगती है इतना की वह रोज़ रात नींद की आगोश में जा कर उसे सपने में मिलने का इंतजार करती है।


धीरे धीरे अंगूठी का भूत नेहा को अच्छा लगने लगता है लेकिन जो भी उसे नींद से उठाने की कोशिश करता या फिर उस अंगूठी को निकालने की कोशिश करता उसे तेज का झटका लगता और वह इंसान दूर जा गिरता।


क्या नेहा को अंगूठी के भूत जय का सच मालूम चलेगा?

कौन है ये प्रिया जिसका ज़िक्र जय बार अपनी कहानी में करता है?

क्या ये सपने नेहा की कोई मानसिक बिमारी है?

क्या ये केवल अचेतन मन के सपने का खेल है?


रिश्तों की देख रेख और उससे जुडी अहम भावनाए हमें इस कहानी को पढ़ कर कुछ हद तक जरूर समझ आएगी।"




 

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