एक लेखक रोज़ लिखता है। वो चाहता है कि हर रोज़ जब वो लिखना शुरू करे तो कुछ न कुछ अलग लिखे। रचना रचते समय उसे सब कुछ बिलकुल एक समान लगता है और वो कभी भी अपने पाठकों या किसी दूसरे की पसंद के लिए नही लिखता। लेकिन इसी सबके बीच में कुछ ऐसा लिखा जाता है जो पाठकों को बहुत पसंद आ जाता है।
मैंने भी कविताएँ या कहानियाँ लिखते हुए कभी ये नही सोचा कि मेरी ये कहानी या कविता वायरल हो जायेगी या इसे लोग खूब पसंद करेंगे। "उसकी आंखों में मैं" कविता को बहुत पाठकों ने पढ़ा और सराहा भी। इसी तरह ट्वीटर पर साझा होते होते बहुत से पेजेज ने इसे साझा किया। मुझे इसके बारे में तब बहुत अधिक खुशी हुई जब "हिंदीनामा" जैसे पेज से ये प्रकाशित हुई। तब मुझे लगा कि सच में मैंने कोई बहुत अच्छी कविता रच दी है।
आप भी पढ़ें कविता "उसकी आंखों में "मैं"
एक दिन मैंने,
उसको प्रेम करते हुए
ये जाना कि...
उसकी हथेलियों में
फूलों सी नरमी है,
उसके कातर होंठों में,
सूर्य की तपिश,
उसकी साँसों में
अनन्त की गहराई है
और
उसकी आँखों में "मैं"!
~"अहमद"
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