'https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> “किताब की बातें” : “उलझी पहेली सुलझे बोल”

 

 

आज किताब की बातेंकॉलम में हम बात करेंगे लेखिका और कवित्री “लक्ष्मी कुमारी” जी की पहली पुस्तक काव्य संग्रह “उलझी पहेली सुलझे बोल” की। यह पुस्तक राजमंगल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।

खुद को साधारण स्त्री कहती हैं और आगे कहती हैं कि “अक्सर साधारण स्त्री को न समझने के कारण लोग पहेली कह देते हैं।” लक्ष्मी जी खुद को गृहणी कहती हैं और अपने रसोई घर, आंगन में चिड़िया, तितलियाँ, अपने बाग़ में फुल और फूलों पर मंडराते भौरों को देखकर अपने मन की भावनाओ को शब्द देने की कोशिश करती हैं।

उन्हीं शब्दों से बनी कविताएँ और उन कविताओं का संग्रह है “उलझी पहेली सुलझे बोल”। अबतक इस पुस्तक को पाठको ने ख़ूब सराहा है। प्रस्तुत कृति लेखिका की पहली पुस्तक है. ये पुस्तक राजमंगल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।

 

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·         Publisher : राजमंगल प्रकाशन  

·         Language :  Hindi

·         Paperback : 114 pages

·         ISBN: 978-9391428501

 

पुस्तक परिचय:



दो पंक्तियों में इस किताब के बारे में कहा जाये तो बिल्कुल आम बोल चाल की भाषा में लिखी गई ये किताब जीवन के हर पहलू को छूती है। इसमें प्रेम में डूबी स्त्री की प्रेम भरी शिकायतें हैं तो दूसरी और स्त्रियों के प्रति समाज का नजरिया। इसमें जीवन है तो जीने के लिये स्वयं को बल देती परिस्थितियाँ भी।


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लेखिका परिचय:

लक्ष्मी कुमारी


लक्ष्मी कुमारी एक 32 वर्षीय साधारण स्त्री, एक 11 वर्षीय बेटी की माँ, पत्नी और गृहणी भी हैं. बिहार के कटिहार से ताल्लुक रखने वाली लक्ष्मी जी ने अपनी स्नातक तक की पढाई कटिहार से ही पूरी की. घर के साथ साथ अपने परिवार को भी संभाला लेकिन हिंदी साहित्य से ये जुडी रही. हिंदी साहित्य से इनका प्रेम ही है कि इनकी पहली पुस्तक हिंदी में प्रकाशित हुई है.

 

पाठक क्या कहते हैं?


“अजित कुमार सिन्हा” ने इस पुस्तक को अमेज़न डॉट इन पर “भावनाओ का बहाव” लिखा और साथ ही ये एक छोटी सी समीक्षा भी लिखी; यहाँ पढ़ें:

अत्यंत सुंदर पंक्तियों में छोटे छोटे रूप में बहुत ही सुंदर और गहरी भावनाओ को व्यक्त किया गया है। आज के समय जब प्रेम और भाव बस दिखावे के रह गया है समाज मे एक भावना बहाने का काम करेगी यह संकलन। हर उम्र के लोगो के पढ़ने के लिए है। सुरुचिपूर्ण और सरसता से भरी हुई।

 

वहीँ “अमेज़न डॉट इन” पर ही एक पाठक “विनय कुमार” ने इस पुस्तक को “BEST” कहा और एक छोटी सी समीक्षा भी लिखी, जिसमे उन्होंने लक्ष्मी जी के काम को सराहा और आगे भी इसी तरह मेहनत करने की सलाह दी.

Best book by a common women and kind hearted friend for all of us. keep it up .. laxmi .

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