किताब की बातें : माँ तुम्हारे लिए...
आज “किताब की बातें” कॉलम में हम बात करेंगे युवा लेखिका सुरभी घोष 'संजोगीता' की किताब “माँ तुम्हारे लिए...” के बारे में। ये किताब यादों का एक पिटारा है जो सुरभी जी ने अपनी माता जी की यादों में लिखना शुरू किया और इसे पूरा भी किया। ये किताब राजमंगल प्रकाशन से प्रकाशित हुई हैं।
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Publisher : Rajmangal
Prakashan
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Language : Hindi
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Paperback : 60 pages
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ISBN : 978-9390894444
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ये किताब यादों का एक पिटारा है जो
उन्होंने अपने माँ के जाने के बाद लिखी। ये कहानी यथार्थ और कल्पना से मिलकर बने
कुछ संवाद हैं जो माँ के चले जाने के बाद एक बेटी अपनी माँ से करती है, चिट्ठियों के रूप
में। ये सारी चिट्ठियां वो अधूरे संवाद हैं जो हो सकते थे, लेकिन कभी हुए नहीं।
ये चिट्ठियां धीरे धीरे एक कहानी का रूप लेती हैं, एक माँ और बेटी की कहानी। एक औरत की कहानी।
उन सारे सवालों की कहानी जो शायद दुनिया की हर बेटी अपनी माँ से करना चाहती है कभी
न कभी। ये कहानी पाठकों को कहीं न कहीं अपने जीवन के ख़ास लोगों को, अपने माता पिता को
रिश्तों की उपाधियों से बाहर निकलकर जानने के लिए, जितने संवाद कर लेने चाहिए कर लेने के लिए, अपने मां बाप के
होने को जितना जी सकें जी लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी। क्योंकि अंत तक बस ये
स्मृतियां ही रह जाती हैं जो उनके चले जाने के ख़ालीपन को भरकर हमें जीने का संबल
देती हैं।
किसी के लिए भी किताब लिखना एक बड़ी बात है, ये और भी अधिक मुश्किल काम हो जाता है जब आप अपनी किसी बहुत करीबी के चले जाने के बाद लिखते हो। हर शब्द में उनकी स्मृतियाँ होती हैं और हर वाक्य आपकी ऑंखें भिंगो सकती हैं। एक बेटी के लिए उसके करीब उसकी माँ से अधिक कौन हो सकता है?
इस किताब को पढ़ कर ही ये बात मुझे समझ आ गयी है। जल्दी ही पुती किताब पढूंगा और उसकी समीक्षा भी आपके साथ साझा करूँगा। हम सुरभी जी को उनकी किताब के लिए शुभकामनाएं देते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उनकी माँ जहाँ हैं वहां खुश रहें।
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लेखिका परिचय:
सुरभी घोष 'संजोगीता' का जन्म पश्चिम बंगाल के एक गांव में हुआ
और परवरिश हिमाचल की सुंदर पहाड़ियों और छत्तीसगढ़ में हुई। अब वो बैंगलोर में
निवास करती हैं। लिखना उन्होंने बचपन से ही शुरू कर दिया था। उन्होंने बैंगलोर के
कई मंचों पर अपनी कविताएं पढ़ीं हैं। साथ ही कई कविता संग्रहों और पत्रिकाओं में
उनकी कहानियां और कविताएं छपी हैं। उन्होंने अपने लेखन को अपने माता पिता को
समर्पित करते हुए अपना लेखक उपनाम 'संजोगीता' चुना है। जो उनके माता पिता के नाम से
जुड़कर बना है (संजय कांति घोष और गायत्री घोष)।
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पाठक क्या कहते हैं?
अमेज़न डॉट इन पर एक पाठक इस किताब को “दिल
को छू लेने वाली किताब” लिखते हैं, निचे उस पाठक की समीक्षा पढ़ सकते हैं।
बहुत ही मार्मिक विवरण है। मां बाप का चले
जाना एक ऐसा घटना क्रम है जिसका सामना किसी न किसी दिन सबको करना पड़ता है। लेकिन
इस दुख का विवरण इतना आसान नहीं। ये किताब इसी को बहुत सुंदर तरीके से बयान करती
है।
एक अन्य पाठक P. GHOSHE अमेज़न डॉट इन पर ही
लिखते है कि “एक अत्यंत शक्तिशाली और दिल को छू लेने वाली कहानी है.... आप निचे
उनकी पूरी समीक्षा पढ़ सकते हैं.
An extremely powerful and
heart touching story . It clearly suggests that an emotion as pure as the love
of a mother can never be replaced or forgotten .Love, Loss and Life the dark
realities and challenges makes the story more relatable to the reader's.The
story has the ability to make you shed a tear or two.Surabhi you are truly a
gifted writer and I can feel all the emotions you went through while writing
this book. All the very best and would like to read more from you.😊
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