आज ही के दिन हम मिले। याद है तुम्हे? तुमने उस पहले दिन मुझे तोहफ़े में किताब के साथ वो मोर का पंख दिया था। वो पंख जो अब मेरी हर रोज के किसी भी काम को शुरू करने का हौसला है। तुम कहीं भी रहो, इसे बस छु भर लेने से तुम्हे छु लेता हूँ।
याद क्यों ना होगा, यही तो दिन था जिस दिन मेरी और तुम्हारी मोहब्बत का ये सारा जहां, ये हवा, शजर, ये जमीन व आसमान, ये सितारे, ये चाँद सब तुमको मेरे होने की गवाही दिए और देते रहेंगे।
ये वो दिन था जब हमारी मोहब्बत आम हुई। लेकिन शायद तुमको पता नहीं होगा कि इससे बहुत पहले तुम मेरी मोहब्बत थी। इसके गवाह मेरे कमरे की दर व दीवार हैं जिनपर तुम्हारी इजाज़त के बगैर मैंने तुम्हारी कितनी ही तस्वीरें निकाली और दीवारों पर लगाया था।
इन तस्वीरों में तुम्हारे नक्शे के हर वो आज़ा मुझे पसंद है और रहेंगे भी। लेकिन तुम्हारी आँखें, इन्होंने मुझे बहुत मदहोश किया। मैंने जबसे तुम्हारी आँखों को देखा तो देखा कि अब मैं एक ऐसे नशे में चूर होता हूँ जिसका कोई इलाज नहीं। मयखाने नहीं जाने पर भी मेरे दोस्त मुझे शराबी कहते हैं। मैं खुश होता हुँ।
मैं खुश होता हुँ क्योंकि तुम्हारी आँखों के देखने के बाद कोई भी इसी मदहोशी में होगा। जो शराबी नहीं वो शराबी दिखेगा। अगर कोई मुझे शराबी कहता है तो मैं मान लेता हूँ। मैं ऐसे मान लेता हूँ जैसे मैं हर रोज़ शराब पीता हूँ। मैं आठ सालों से यही तो कर रहा हूँ।
देखो ना, वक़्त कैसे उड़ता हुआ चलता है। ये आठ साल तो ऐसे लग रहे हैं जैसे कल ही की बात हो। तुम्हे याद है मैं कैसे तुम्हारे पीछे आता था और तुम अपनी सहेलियों की ओट में छुप कर मुझे देखती थी और मै ये देखते हुए भी ऐसा प्रतीक होने देता था कि मैंने तुमको अभी तक देखा नहीं है।
अगर किसी के मोहब्बत में पड़ना चाहिए तो ऐसे ही पड़ना चाहिए। मैं तो किसी से नहीं कहता, लेकिन लोग मुझे देख कर ज़रूर कहते हैं। मेरे दोस्त मुझे कहते हैं कि अब मैं उन के जैसा नहीं रहा। तुम बताओ, अगर मैं उनके जैसा ही होता तो तुम्हारी मोहब्बत के असर का क्या होता?
ख़ैर, लोग तो कुछ ना कुछ कहते ही रहते हैं। हमे तो आज तक के इन आठ सालों को सेलिब्रेट करना है। आठ साल एक अरसा होता है। और मेरे उम्र के लड़के की मोहब्बत का आठ साल होना ही बावफा होने का सबूत हैं। इन आठ सालों में ऐसे बहुत मौके आएं की तुम्हारा, मेरी मोहब्बत से एतमाद ख़त्म होते हुए मैंने देखा। मैंने देखा कि तुम्हारा मुझपर यकीन ख़त्म हो रहा है और तुम कोई और दूसरा रास्ता अपना रही हो।
तुम ये जान लो! अगर कोई तुमसे कहे कि मैं बेवफ़ा हूँ तो तुम यकीन कर लेना और अगर कोई तुमसे ये कहे कि मैंने तुमसे बेवफ़ाई की है तो तुम मेरे लिए फातेहा पढ़ लेना। क्योंकि तुमसे बेवफ़ाई से पहले मैं मौत को गले लगाना बहुत ज़्यादा पसंद करूंगा।
मैंने इन आठ सालों में अपना वजूद, अपनी जान, अपनी इज़्ज़त, ये दिल, ये दिल का रास्ता, ये सुकून, मेरा आज, मेरा कल, सब कुछ तुम्हारे नाम कर चुका हूँ, क्योंकि अगर मैं तुम्हारे साथ हूँ तो मेरी नजर में मुझसे ज़्यादा अमीर इस दुनिया में कोई नहीं और अगर तुम मेरे साथ नहीं तो हज़ारों करोड़ों रुपए भी मेरे पास हो फिर भी मुझसे ज़्यादा गरीब कोई नहीं। तुम्हारे बग़ैर मैं अपनी ज़िन्दगी में कुछ भी तसव्वुर नहीं किया, सिवाए मौत के। तुम्हारे बगैर होने से, मर जाना अच्छा है।
लोग कहते हैं ख़ुद कुशी हराम है। लोग मुझे सलाह देते हैं कि किसी की भी मोहब्बत में पड़ कर खुदकुशी नहीं करनी चाहिए। अगर कोई समझने वाला हो तो में उसे समझाऊं कि तुम्हारे बग़ैर तो ऐसे ही सारी दुनिया मेरे खिलाफ हो जानी है। ये हवा जिससे लोग ज़िंदा हैं वो भी मुझे अपनाने से इंकार कर देंगी। तुम्हारी मोहब्बत के बग़ैर तो मैं कुछ भी नहीं। मुझे सांसे ही नहीं आएंगी। मुझे खुदकुशी करने की जरूरत ही नहीं। मैं ऐसे ही मर जाऊंगा।
~"अहमद"
यादों को यूँ संजो कर रखना भी सबकी बस की बात नहीं है.........
ReplyDeleteआह! मजा आ गया ...........
awesome article 👌👌👌👍👍👍👍
Thank you so much Bhai 🙏,
Deleteआपका आभार, इस तरह के आपके कॉमेंट्स और भी लिखने के लिए प्रेरित करते हैं।
थैंक यू।🙏💐
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