'https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> अहमद फ़राज़: इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ

 

अहमद फ़राज़



सैयद अहमद शाह, जिन्हें उनके कलम नाम अहमद फ़राज़ के नाम से जाना जाता है। एक पाकिस्तानी उर्दू कवि, पटकथा लेखक और पाकिस्तान अकादमी ऑफ़ लेटर्स के अध्यक्ष थे।  

उन्होंने नाम फ़राज़ के तहत अपनी कविता लिखी। अपने जीवनकाल के दौरान, उन्होंने देश में सैन्य शासन और तख्तापलट की आलोचना की और सैन्य तानाशाहों द्वारा विस्थापित किया गया। 


 जन्म: 12 जनवरी 1931, कोहाट, पाकिस्तान

 निधन: 25 अगस्त 2008, इस्लामाबाद, पाकिस्तान

 

 पूरा नाम: सैयद अहमद शाह अली

 दफन की जगह: इस्लामाबाद कब्रिस्तान एच -8, इस्लामाबाद, पाकिस्तान




उनकी एक बहुत मकबूल रचना यहाँ पढें।



इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ 

क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ 


तू भी हीरे से बन गया पत्थर 

हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ 


तू कि यकता था बे-शुमार हुआ 

हम भी टूटें तो जा-ब-जा हो जाएँ 


हम भी मजबूरियों का उज़्र करें 

फिर कहीं और मुब्तला हो जाएँ 


हम अगर मंज़िलें न बन पाए 

मंज़िलों तक का रास्ता हो जाएँ 


देर से सोच में हैं परवाने 

राख हो जाएँ या हवा हो जाएँ 


इश्क़ भी खेल है नसीबों का 

ख़ाक हो जाएँ कीमिया हो जाएँ 


अब के गर तू मिले तो हम तुझ से 

ऐसे लिपटें तिरी क़बा हो जाएँ 


बंदगी हम ने छोड़ दी है 'फ़राज़' 

क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ 





नोट: इस ब्लॉग में संलग्न चित्र इंटरनेट से ली गई हैं।



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