'https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> ज़िन्दगी अभी भी बाकी है??


 कॉलेज ख़त्म किए और कैंपस को छोड़े हुवे दो साल होने को है।
आज दोस्तों की याद आयी और इस नज़्म की भी जो मैंने कॉलेज के आख़िर दिन को लिखा था।
आज यहाँ आप शेयर कर रहा हूँ।





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सब खत्म हो गया? नहीं अभी बाकी है,

ये ज़िन्दगी अभी बाकी है,

 

कुछ दिनों, महिनों, सालों बाद बहुत याद आएंगे,

हम सब को ये यादें खूब रुलायेंगे।

 

याद आएगा पीली सवारी का सुबह का इंतज़ार,

इन पीली सवारियों में सीनियर्स का डांट वाला प्यार।

 

याद आएगी आपस की सब की लड़ाई,

याद आएगा साल दर साल की चढ़ाई।

 

याद आएंगे कालेज के कुछ प्रेम कबूतर,

याद आएगा तो देखेंगे, बच्चों के किताबें छु कर।

 

याद आएगा, ग्रुप स्टडी के नाम पर की गई सारी बकवासें,

रात को चाय का पीना, बेवजह सड़कों पर निकल जाना।

 

याद आएगा क्लास का आख़िरी वो बेंच,

उस बेंच पर, during the class, फोन का चलाना।

 

याद आएगा एक दूसरे को बेवजह ही सताना

याद आएगा मस्ती करते कॉलेज को जाना।

 

याद आएगा, बेतरतीब लगीं बिस्तरों पर युं ही सो जाना,

आएगा याद, एक दूसरों को तकिए सा, सर को लगाना।

 

आएगी याद कैंटीन की चाय की,

याद आएगी आखरी दिन के बाय की।

 

लगा सब ख़तम हो गया, भी याद आएगा,

आगे की सोच कर ये चेहरा मुस्कुराया भी याद आएगा।

 

सोचेंगे सब ख़तम नहीं हुआ, अभी बहुत कुछ बाक़ी है,

सब खत्म नहीं हुआ, अभी ज़िन्दगी बाक़ी है।

 

फिर आँसुओ को पोछते हुवे उठेंगे किसी कुर्सी से,

और चलेंगे आगे, ये कहते कि ज़िन्दगी अभी बाकी है।

 

फिर एक सवाल होगा मन में कि,

क्या वाकई, ज़िन्दगी अभी भी बाकी है??

 


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