रानी, गाँव के सरकारी स्कूल के सातवीं कक्षा की और स्कूल की सबसे होनहार छात्रा है। उसका रोल नम्बर हमेशा से एक रहा है, वो होनहार है, वो पढ़ाई को लेकर बहुत ज़िम्मेदार है। उसका क्लास वर्क और होमवर्क हमेशा पूरा रहता है। उसके मार्क्स हमेशा अच्छे आते हैं। इन्हीं सब कारणों से वह क्लास की मॉनिटर है। वो इसकी हकदार भी है।
रानी को जितना पढ़ने का शौक है उतना ही लिखने का भी। स्कूल में पिछले दो सालों से निबंध प्रतियोगिता शुरू हुई और इस प्रतियोगिता की विजेता दोनों ही साल रानी ही हुई है। वह जितनी होनहार है उतनी ही मासूम भी।
आज स्कूल परिक्षण के लिए शहर से एक टीम आयी थी। टीम में एक महिला और तीन पुरुष थे। महिला आगे आगे और तीनों पुरुष उसके पीछे पीछे चलते रहे। वो पहले स्कूल के प्रिंसिपल सर से मिली फिर पूरे स्कूल का निरीक्षण किया। वो जो कुछ कहना चाहती अपने साथ के किसी एक आदमी से कहती और वो उस काम को करने के लिए आगे बढ़ जाता।
इसके व्यौहार से और नेतृत्व से ही लग रहा था कि वो इस टीम की मुखिया है।
ख़ैर, महिला जब सातवीं कक्षा, माने जिस कक्षा में रानी पढ़ती थी, वहां पहुंची तो रानी ने पूरे दरवाज़े पर ही अपनी पूरी कक्षा के साथ मिलकर महिला को गुलदस्ता दे कर स्वागत किया।
ये गुलदस्ता वर्ग शिक्षक ने पहले ही वर्ग में भेज कर ये हिदायत दे दिया था कि ऐसे ही उस महिला का स्वागत करना है।
उस दिन रानी थोड़ी खोयी खोयी और परेशान दिखी।
एक महिला के आज स्कूल आ जाने से सारे शिक्षकों में चहल कदमी बढ़ गई थी। महिला से सभी को डरते और उसकी इज़्ज़त करते देख वो कुछ अजीब और अलग महसूस कर रही थी।
उस महिला ने सभी को अपनी अपनी जगह बैठ जाने को कहा। रानी कुछ सोचते हुए अपनी जगह पर जाकर बैठ गई।
वो सोचती रही की ये महिला भी तो बिल्कुल उसकी माँ ही की तरह है। वैसे ही कपड़े हैं। वैसे ही बोलती है। वैसे ही समझाती है। उसके माँ की ही तरह इसने भी साड़ी पहन रखी है। लेकिन जब उसकी माँ स्कूल में कोई शिक़ायत ले कर या किसी भी काम से आती है तो उन्हें इतनी इज़्ज़त क्यों नहीं दिया जाता?
वो ये भी सोच रही थी कि उसके पिता भी तो उसकी माँ को हमेशा मरते पीटते रहते हैं। जब भी वो शराब पी कर घर आते हैं तो माँ की लड़ाई होती है और माँ के मार खा लेने के बाद लड़ाई ख़त्म हो जाती है।
रानी का एक छोटा भाई गोलू था। जब भी माँ-पिता की लड़ाई होती तो गोलू रानी के पास सोता था। रानी आज तक ये बात समझ नहीं पायी थी कि उसका पिता जब शराब पी कर आता है तो उनकी लड़ाई क्यों हो जाती है। मार खा कर भी माँ पिता एक कमरे में ही क्यों सो जाते हैं। पिता से पीटने के बाद भी माँ उनको खाना क्यों खिलाती हैं। और लड़ाई के बाद गोलू को उसके पास सोने क्यों भेज दिया जाता हैं।
या वो समझने लगी थी कि उसकी माँ ज़ुबान वाली कोई बेजुबान औरत है।
एक साथ बहुत सारी बातें रानी के दिमाग में चल रही थी कि तभी अचानक बच्चों के जोर से ठहाकों की आवाज़ ने उसका ध्यान फिर से क्लास में ले आया।
उसने देखा कि सभी बच्चे हस रहे हैं, उसने देखा कि वो महिला भी मुस्कुरा रही है।
उस महिला ने पूछा.... अच्छा, ये बताओ कि भविष्य में कौन क्या बनना चाहता है?
धीरे धीरे वो ठहाके मुस्कान में और मुस्कान, चिंता और सोच में बदल गई। सभी के चेहरों पर एक लकीर थी।
सभी सोच रहे थे कि रमेश ने खड़े होकर कहा.... वो एक बड़े फार्म का मालिक बनना चाहता है।
इसके पिता एक छोटे से फार्म के मालिक थे जहाँ कुछ जानवर पाले जाते थे।
और कौन बताएगा? महिला ने पूछा,
मंगरू ने कहा वो बड़ा होकर अपने पिता का हाथ बटाएगा, उसके पिता अकेले खेतों में मेहनत करते हैं तो उसे अच्छा नहीं लगता।
इसके पिता की थोड़ी सी खेती थी। वह स्कूल से छूटता तो खेतों पर चला जाता और अपने पिता की मदद करता।
ऐसे ही और भी बच्चे अपनी अपनी बातें बताते रहे।
एक बच्चे ने कहा.... जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो खूब खेलूँगा, क्योंकि तब मुझे स्कूल नहीं आना पड़ेगा।
सभी बच्चे ठहाके लगाकर हँसने लगे।
जब हम बच्चे होते हैं तो बड़े हो जाने के बाद के कितने ही सपने होते हैं और उन सपनों को पूरा करने की ज़िद्द और उम्मीद रखते हैं। लेकिन हम जैसे जैसे बड़े होते जाते हैं हमारे कंधों पर ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं।
अक्सर ज़िम्मेदारियाँ निभाने में इंसानों की ख्वाहिशों और सपनों का कत्ल हो जाता है।
रानी की एक सहेली ने कहा... जब वो बड़ी हो जाएगी तो बहुत सारे खिलौने अपने पति से खरीदवाएगी और उसके साथ खेलेगी।
पति से क्यों..? उस महिला ने पूछा।
इसका जवाब उस लड़की ने कुछ भी नहीं दिया और शर्माकर अपने सहेलियों के पीछे छुप गई। उसकी दूसरी सहेलियों ने बताया कि अगले साल उसकी शादी होने वाली है।
वो महिला बहुत अचंभित हुवी और पास खड़े वर्ग शिक्षक के तरफ एक सवालिया नजर से देखा।
मैडम, इस गाँव में अधिकतर बच्चियों की शादी इसी उम्र में हो जाती है।
मास्टर साहब ने थोड़ा धीरे से करीब जा कर कहा।
वो महिला थोड़ी परेशान हो गई। वहीं कुर्सी पर बैठे ही कुछ देर खामोश रही और अपने सिर को नीचे झुकाए रखा। फिर अचानक से सिर ऊपर उठाया और मुस्कुरा कर पूछा....
हाँ, आगे और कौन बताएगा?
फिर एक-एक करके सभी ने अपनी अपनी बातें बताई कि वो क्या बनना चाहते हैं। लेकिन जब रानी ने अपनी बात रखी तो वो महिला कुर्सी से उठ खड़ी हुवी।
पहली बार किसी ने बहुत ही अलग बात कह दिया था। मास्टर साहब तो सन्न रह गए। वह रानी की सोच को सोच रहे थे।
रानी ने कहा कि वो बड़ी हो कर शहर में पढ़ना चाहती है और जैसे हर रोज़ उसके चाचा जी के घर की टी० वी० में लड़कियाँ आती हैं, बाते करती हैं, वो भी वही करना चाहती है।
वो महिला जाने से पहले रानी को अपने पास बुलाया। उसने पूछा कि वो टी० वी० पर क्यों आना चाहती है और वही काम क्यों करना चाहती है? इस काम के बारे में वो क्या जानती है?
रानी ने बताया...
इस काम के बारे में मैं अधिक नहीं जानती लेकिन मेरे चाचा जी के यहाँ टी० वी० है, हम शाम को रोज़ देखते हैं। एक ख़ूबसूरत लड़की रोज़ आती है और सभी से सवाल करती है। जिसका जवाब सब नहीं दे पाते हैं। और जो शहर में पढ़ कर बड़े आदमी बन जाते हैं उनसे सब डरते हैं।
अच्छा, ये किसने कहा तुमसे?
महिला ने पूछा।
किसी ने नहीं, मैंने ख़ुद देखा है।
क्या देखा है?
यही कि टी० वी० वाली लड़की से सब डरते हैं। आपसे भी सब स्कूल वाले डर रहे थे। मेरी माँ से तो कोई नहीं डरता। ना मास्टर साहब, ना पिता जी। वो शहर में नहीं पढ़ी है ना, इसीलिए।
उस महिला ने रानी के माथे को चूम लिया। तभी उसकी आँखों से आँसू का एक बूंद रानी के माथे पर गिर पड़ा।
वो महिला अपनी गाड़ी में बैठी और चली गई। रानी वहीं खड़े-खड़े उस गाड़ी को देखती रही।
Inspire karti h story sir👍👍👍👏👏👏
ReplyDeleteThank you so much 🙏🙏💐
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