राहत इंदौरी साहब, हमारे मुर्शीद चले गए। दुनिया की एक हकीकत को उन्हें भी कबूल करना था और इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कहकर कहीं दूूर बहुत दूर चले जाना था। सो वो चले गए।
राहत इंदौरी ने अपनी शायरी और गजलों से कई सरकारों को चेताया है तो बॉलीवुड की कई फिल्मों में गाने भी लिखे हैं. राहत साहब ने करीब एक दर्जन किताबें लिखीं और हाल ही में उनकी बायोग्राफी भी रिलीज़ हुई थी.
लेकिन एक हकीकत ये भी है कि इस शायर ने बुजदिलों को भी हिम्मत दिलाई, नयी उम्र को भी शेर पढ़ना और बातिल के सामने डट कर खड़े होना सीखा गए।
जहां इन्होंने दुनिया को इंसाफ और अदल के साथ और बातिल के ख़िलाफ़ खड़ा होना सिखाया, साथ ही साथ मोहब्बत करना भी सिखाया। वो हमेशा कहते रहें की दिल कभी बूढ़ा नहीं होता।
उन्होंने एक शेर कहा था.....
जनाज़े पर मिरे लिख देना यारो
मोहब्बत करने वाला जा रहा।
मोहब्बत और बगावत की शायरी से युवाओं के दिल को जीतने वाले शायरों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर और बहुत मकबूल शायर राहत साहब रहे हैं। भले ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया हो लेकिन वो इस दुनिया में अपनी शायरी से हमेशा जाने जाएंगे, जिंदा रहेंगे।
उनके कुछ शेर नीचे पढ़ें।
1. एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
2. बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए,
मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए।
3. वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा,
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया।
4. अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है,
लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया।
5. सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में,
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।
राहत इंदौरी ने अपनी शायरी और गजलों से कई सरकारों को चेताया है तो बॉलीवुड की कई फिल्मों में गाने भी लिखे हैं। राहत साहब फिल्मों में छोटे छोटे रोल भी कर लिया करते थे।
राहत इंदौरी साहब जिस किसी महफ़िल की रौनक बनते, वहां वो वाहवाही लूट लेते। उन्हों ने कई बार आजतक के साहित्य आजतक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और हर बार दर्शकों के दिल को जीत लिया।
उनके कुछ अश'आर पढ़े....
6. मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना,
लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना।
7. आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।
8. मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो,
आसमां लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो।
9. ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएँगी,
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूँ मैं।
10. अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे।
11. लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूं हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं।
12. मैं ताज हूं तो ताज को सर पर सजाएँ लोग,
मैं ख़ाक हूं तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए।
13. अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को,
वहाँ पे ढूँढ रहे हैं जहां नहीं हूँ मैं।
14. बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के न लिए,
हम ने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से।
15. ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था,
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था।
16. हों लाख ज़ुल्म मगर बद-दुआ' नहीं देंगे,
ज़मीन माँ है ज़मीं को दग़ा नहीं देंगे।
हाल ही में जब कोरोना वायरस के कारण इंदौर में हालात ठीक नहीं थे, तब भी राहत इंदौरी सोशल मीडिया के जरिए लोगों से नियमों का पालन करने की अपील करते रहे।
कुछ दिन पहले उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया, तब वह कोरोना पॉज़िटिव थे, लेकिन हॉस्पिटल में ही हार्ट अटैक आने से उनका इंतकाल हो गया।
उनका बहुत मशहूर शेर...
दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है,
ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया।
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था,
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था।
हमारे मुर्शीद, आप हमेशा हमारी यादों में ज़िन्दा रहेंगे।
Ek aisa shayer jo sb k dilo par raaz karte hai
ReplyDeleteYe hamesha logo k dilo me rahenge
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