मैं तो हमेशा से ही सआदत हसन मंटो का बहुत बड़ा शागिर्द रहा हूँ और इनके अफसाने हमेशा पढ़ते रहता हूं।
ठंडा गोश्त , बू , टोबटेक सिंह, बस स्टॉप, और आगे बहुत सी मशहूर कहानियां मंटो ने लिखी और लोगों को मआशरे की हकीकत को सामने ऐसे ला कर पटक दिया जैसे दूध में काली पत्ती।
मैं सआदत हसन मंटो की ज़हनियत से हमेशा मोतासिर हुआ हूँ और इनकी अफसाना नगारी से हमेशा वो सब सीखता जो आम लोग हमेशा बात करने से डरते और हिचकते हैं। मंटो ने बहुत ही सलीके से समाज की बुराइयों और दोगलेपन को सामने लाया है।
आगे की अफसाना नगारी में कोई भी इनकी बराबरी नहीं कर सकता, बल्कि उर्दू ही नहीं, हिंदी और बाकी की अलग ज़ुबान में भी कोई भी इस तरह से नहीं लिख सकता और न ही ऐसी हालत व मंज़र बयानी कर सकता है।
नीचे पढ़िए, सआदत हसन मंटो की घाटे का सौदा।
घाटे का सौदा
दो दोस्तों ने मिल कर दस-बीस लड़कियों में से एक लड़की चुनी और बयालिस रुपये दे कर उसे ख़रीद लिया।
रात गुज़ार कर एक दोस्त ने उस लड़की से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?”
लड़की ने अपना नाम बताया तो वो भिन्ना गया। “हम से तो कहा गया था कि तुम दूसरे मज़हब की हो।”
लड़की ने जवाब दिया, "उस ने झूट बोला था।”
ये सुन कर वह दौड़ा दौड़ा अपने दोस्त के पास गया और कहने लगा,
“इस हरामज़ादे ने हमारे साथ धोका किया है… हमारे ही मज़हब की लड़की थमा दी... चलो वापस कर आएँ।
ये जब कहानी मैंने पढ़ी तो बहुत देर तक सोचता रहा, बहुत देर मतलब बहुत देर। ये छोटी की कहानी क्या क्या समझती है और लोग कैसे अपने मज़हब के ठेकेदार बन कर दूसरे मज़हब के लोगों पर ज़ुल्म करके ख़ुद को मुमताज़ और बलन्द समझते हैं।
हमेशा से मज़हब का झगड़ा रहा है, लोग अपने मज़हब को ख़ास और मुबर्रक बनाने के लिए दूसरों के मज़हब के लोगों को नीचा दिखाते हैं। ऐसा नहीं कि हर मज़हब में ऐसा सभी लोग हैं लेकिन हर मज़हब में कुछ ला इल्म ऐसी हैं जिन्हें ऐसा लगता है कि दूसरे को नीचा दिखा कर आगे बढ़ा जा सकता है, जो कि कत्तई सही नहीं है।
ख़ैर, लिखने वाले हज़रत सआदत हसन मंटो ने इसके लिख दिया, एक ज़हीन और समझदार अपनी समझदारी से इस छोटी से कहानी से बहुत बड़ी बात निकाल सकता है।
अब मुझे उम्मीद है आप भी इससे कुछ अच्छा निकलेंगे और इस नजरिए के बारे में लोगों को, अपने आस पास मौजूद अपनो को बताएंगे कि किसी भी मज़हब को किसी दूसरे मज़हब से ख़तरा नहीं और उसे इन्सानियत पर अपनी ज़िन्दगी निछावर करनी चाहिए।
Behtreen bhai ... Lazwab
ReplyDeleteThank you so much bhai sahab,!!
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