'https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> गाँधी का मतलब क्या.?

गाँधी का मतलब क्या.?


"गाँधी" सिर्फ एक शब्द नहीं ।
गाँधी का मतलब समझने के लिए हमें हर उस व्यक्ति को पढ़ना और समझना होगा, जिसके नाम के साथ गाँधी शब्द लगा है। हम अपने इस हिन्दुस्तान में हों या विश्व के किसी भी देश-प्रदेश में हो, यदि हम "गाँधी" शब्द के बारे में सोचते भी हैं, तो सबसे पहले मोहनदास करमचंद गाँधी जी की विचारधाराएँ हमारे मस्तिष्क में घूमने लगता है।
   मतलब कि "गाँधी" का मतलब समझना हो तो "मोहनदास करमचंद गाँधी जी" के पूरे अस्तित्व की जानकारी हमें लेनी चाहिए।
     
  "गाँधी" का मतलब मोहनदास की सोच, विचारधारा, कार्य, कर्तव्य, अहिंसा, सत्य, निष्ठा, अपनों और दूसरों से अपनापन और प्यार है। "गाँधी" शब्द मोहनदास जी की पूरी जीवनी की व्याख्या करता है और जीवित इन्सान को अपनी चेतना के बारे में सकारात्मक सोच रखने की सलाह देता है।
    
 "गाँधी का मतलब क्या.?"  जब ये विषय मेरे सामने आया तब मैं, खुद से बहुत ही असंतुष्ट था। जब मैं "गाँधी" शब्द की पूरकता को समझने के लिए पढ़ना और चिंतन शुरू किया, तब मैं "गाँधी जी" की आलोचनाओ पर भी नजर डाला, लेकिन मैंने ये भी देखा, कि इस शब्द के साथ "जी" शब्द का भी प्रयोग बहुत ही आदर से होता है।
   
  "गाँधी" सिर्फ एक शब्द है, तो है, लेकिन यह ऐसा शब्द है जिसके साथ "महात्मा" भी लगा है और पूरे आदर से "जी" भी।
     हिन्दुस्तान में बल्कि पूरे विश्व में कहीं भी, जब भी मोहनदास जी का नाम आता है तब उनके नाम से "गाँधी" शब्द भी जुड़ता है, जिससे ये बोध होता है कि वह व्यक्ति बहुत ही साधारण और सामान्य थे लेकिन उनकी सोच, धारणा और चेतना बहुत ही असाधारण और असामान्य था।
      30 जनवरी 1948 ई• को "गाँधी" जी के मृत्यु के बाद आज तक जो भी व्यक्ति कहीं, अहिंसा का साथ देता है या अहिंसक विचारों को फैलाता है तो वह गाँधीगिरी कर रहा है, कहलाता है।
   ये 71 वर्षों का बदलता परिवेश भी "गाँधी जी" के विचारों को नहीं बदल सका। तब गाँधी का मतलब अहिंसा का समर्थन करना होता था और आज इतने वर्षों के बित जाने के बाद भी, जब भी कहीं, गाँधी शब्द का उच्चारण होता है तब जो शब्द मस्तिष्क में आतें है वो, अहिंसा और अहिंसा का समर्थन करना ही होते हैं।
   "गाँधी" शब्द को कितना भी अलग करके समझने की कोशिश कर लें, यह शब्द "मोहनदास जी" की विचारधाराओं से जुड़ने से नहीं रुकता।
   हिन्दुस्तान की 70 वर्षों की अपनी पुरानी राजनीति में कितने ही नेता हुवे, जिनके नाम के साथ "गाँधी" शब्द जुड़ा हुआ है लेकिन "महात्मा गाँधी जी" की विचारधाराएँ ऐसी थीं कि उसमें वो सभी को बहाए लिए जाती हैं।
     "गाँधी" तो बहुत से लोग अपने नाम से जोड़ लेते हैं, लिखते हैं, लेकिन इस शब्द का मतलब जानना है और इस शब्द की सकारात्मक प्रवृति को अपने जीवन में अपनाना है तो "महात्मा" शब्द भी समझना होगा, क्योंकि मोहनदास करमचंद गाँधी जी ने इस शब्द की ऐसी प्रख्याति बढ़ा दी कि, यदि कोई व्यक्ति अपने नाम के साथ इस एक शब्द को जोड़ भर लेता है तो ऐसे ही वह बहुत अधिक प्रभावित हो जाता है और इस समझ में उस व्यक्ति को प्रभावयुक्त माना जाता है।
            गाँधी जी को सबसे पहले 6 मार्च 1915 ई• को "रविन्द्रनाथ टैगोर" ने "महात्मा" की उपाधि दी, जिसका मतलब महान आत्मा होता है और उनके कार्यों, विचारों, और अहिंसावादी हो कर भी सत्य पर विजयी पाना, लोगों पर बहुत अधिक प्रभावी छाप छोड़ता गया, इन्हीं कार्यों, विचारों और उनका अहिंसावादी होना उन्हें राष्ट्र का पिता बना गया।

       महात्मा की उपाधि मिलने के 29 वर्षों के बाद, महात्मा गाँधी को 6 जुलाई 1944 ई• को , सबसे पहले नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने राष्ट्र का पिता मतलब की राष्ट्रपिता कहा था।
महात्मा गाँधी जी की इतनी बड़ी बड़ी उपाधियां और अपने हिंदुस्तान के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे देना, उनकी महानता को बताता है और "गाँधी" शब्द की पूरकता को भी समझता है।
     गाँधी का मतलब समझने के लिए महात्मा गाँधी को समझना पड़ता है और इससे ये पता चलता है कि "गाँधी" सिर्फ एक शब्द नहीं ।

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