सोचता हूँ एक ख़त लिखूँ,
उसमें लिखूँ, तू ख़्वाब है,
जो पूरा नहीं होता।
उसमें लिखूँ, तू उम्मीद है,
जिससे मेरा वजूद कायम है।
उसमें लिखूँ तू दर्द है,
ये दर्द तू महसूस कर।
उसमें लिखूँ, एक लफ्ज़ दिल,
तेरे दिल पर मेरा नाम हो।
उसमें लिखूँ, तू प्यार है,
इस प्यार को तू नाम दे।
उसमें लिखूँ, सफ़ीना है तू,
सफिने का साहिल मैं बनूं।
उसमें लिखूँ दरिया है तू,
दरिया का पानी मैं बनूं।
मैं दिल बनूं, तू खुं बने,
मेरी आखिरी मंज़िल बने।
~"अहमद"
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