कोरोना पीड़ित बैक कर्मचारी को अवकाश की पूर्व अनुमति नहीं मिली, मौत, इस मृत्यु का जिम्मेदार कौन है? क्या अवकाश के लिए मना करना सही था?
ट्विटर स्क्रॉल करते हुए @idesibanda (Newton Bank Kumar) की एक ट्वीट देखी जिसमें एक सोमा मुंडा (Soma Munda) नाम का व्यक्ति जो कि जमशेदपुर के एक 'बैक ऑफ इंडिया' के ब्रांच में कार्यरत थे और अपने सीनियर मैनेजर को छुट्टी के लिए संजीव कुमार चौधरी, जो की HR department के सीनियर मैनेजर हैं, को मेल लिखा।
मेल का रिप्लाई आया कि ये सिर्फ एक बहाना है अवकाश लेने का तो अभी अवकाश नहीं मिलेगी। ये मैनेजर कोरोना संक्रमित थे और इसी कारणवश को स्वर्गसिधार गए। इससे अभी के कोरोना की भयावह स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
पूरी मेल इंगलिश में लिखीं गई है जिसका में नीचे हिन्दी अनुमानित अनुवाद भी कर रहा हूँ और उसकी एक तस्वीर जो कि उसी ट्वीट के साथ संलग्न है वो भी साझा कर रहा हूँ। इसके बाद जो सवाल होते हैं उसपर बात करते हैं।
ट्वीट के साथ संलग्न मेल की तस्वीर |
सोमा मुंडा (Soma Munda) के द्वारा रोग के कारणवश अवकाश के लिए लिखा गया मेल का अनुमानित अनुवाद।
विषय: पूर्व अनुमति
सर/मैडम,
हमारे स्टाफ अधिकारी श्री सोमा मुंडा (BM) पीएफ नं० 159602 को सीने में दर्द, सिरदर्द, खांसी, बुखार का सामना करना पड़ा है, इसलिए कृपया 28/04/2021 से 07/05/2021 (दस दिन) तक की बीमारी के लिए अवकाश की पूर्व अनुमति दें।
धन्यवाद!
संजीव कुमार चौधरी के द्वारा रोग के कारणवश अवकाश के लिए लिखा गया मेल का वापस जवाबी मेल का अनुमानित अनुवाद।
महोदय,
निचले मेल के संदर्भ में, कृपया हमें बताएं कि आप कैसे जानते हैं कि आपकी सभी स्वास्थ्य समस्याएँ 07/05/2021 से पहले और 28/04/2021 के बाद हल हो जाएँगी। आपने बीमार अवकाश के लिए पूर्व अनुमति मांगी है, फिर आपके स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी सभी समस्याएं आपसे पूर्व अनुमति ले रही हैं। ऐसा लगता है कि आप इस समय बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के बीमारी के लिए अवकाश का लाभ उठाना चाहते हैं।
सादर
संजीव कुमार चौधरी,
सीनियर मैनेजर
HR department
जमशेदपुर
ये ट्वीट का लिंक है। ट्वीट यहाँ पढ़ें।
ये ट्वीट करने वाले (Newton Bank Kumar) का आईडी लिंक है। प्रोफ़ाइल यहाँ देखें।
इस तरह अब इन दो मेल से कुछ बातें समझ आती हैं।पहला कि एक कर्मचारी बीमारी और वो भी कोरोना जैसी लक्षण के कारण से अवकाश के लिए अनुमति लेना चाहता है लेकिन इसको बिना जाँच के उसी समय मना किया जाता है और वो भी ये कहते हुए कि ऐसा लगता है कि आप अवकाश का लाभ लेना चाहते हैं।
फिर उसके कुछ दो और तीन दिनों के भीतर ही उस कर्मचारी की इसी महामारी के कारणवश मृत्यु हो जाती है।
इसकी मृत्यु का जिम्मेदार कौन है? क्या अवकाश के लिए मना करना सही था? या इस स्थिति में ये ज़रूरी होता है कि कर्मचारी की स्थिति का पता लगाया जाए? क्यों कि इससे और दूसरे कर्मचारियों को भी महामारी की चपेट में आने की पूरी संभावनाएं हो जाती है।
इस भयावह स्थिति को समझते हुए इसकी पूरी जाँच होनी चाहिए। महामारी में सबको संवेदनशील होना होगा। अभी महामारी भयावह स्थिति में है और सरकार भी पूरी तरह से असफल दिखाई देती है। ऐसी क्या वजह या मजबूरी आ गई की सरकार ना तो ऑक्सीजन की व्यवस्था करवा पाती है ना बेड की और ना ही हॉस्पिटल्स की। ये महामारी हमारे देश में लगभग एक साल से पूरे जोर से चली हुई है लेकिन सरकार एक साल में भी इससे लड़ने की तैयारी नहीं कर सकी। ये बहुत दुखद है।
लोगों को सामने आना होगा। एक दूसरे कि मदद करनी होगी, जो कि अभी लोग बहुत अच्छे से अपने अपने कर्मो का निर्वाहन कर रहें हैैं। अब बस ज़रूरत इस बात की है कि लोग इस भयावह स्थिति को समझते हुए ख़ुद को संवेदनशील रखे और सरकार अपनी पुरजोर कोशिश करे। क्योंकि हमें अब तमाशा नहीं बनाना है।
सा'आदत हसन मंटो कहते है कि...
"एक आदमी का मरना मौत है। एक लाख आदमियों का मरना तमाशा है।"
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