दुनियाँ में हज़ारों प्रेम कहानियाँ लिखी गई। प्रेम, कभी मनुष्य से देवता तक तो कभी काम से वासना तक। प्रेम कभी अम्बर तक तो प्रेम कभी धारती के आखरी तल तक।
प्रेम कभी मनुष्य के हृदय में तो कभी उफक के पार लिखा गया। प्रेम को कुछ लोगों ने अंधकार लिखा तो अधिकतर प्रेमियों ने एक रौशनी, जीवन का सार और आगे बढ़ने की संभावना और कोशिश। प्रेम कभी मृत्यु से मिलन का कारण बना तो कभी नए जीवन का आगाज़। प्रेम सत्य को परिभाषित किया तो लोगों ने प्रेम को अभिशापित भी किया।
प्रेम में पड़े लोग हमेशा अपनी प्रेमिकाओं की आँखों को समुन्द्र और होंठो को मधुशाला लिखा।
जब मैं उससे मिला तो ये सब झूठ लगा या हो सकता है कि सही भी हो। उसकी आँखों में गहराई थी लेकिन ये किसी समुन्द्र की गहराई नहीं लगी। उसकी आँखों में मैंने समुन्द्र नहीं एक सहारा देखा, एक बियाबान रेगिस्तान।
हो सकता है उसका कोई और प्रेमी उसकी आँखों को समुन्द्र ही लिखे उसमे एक गहराई है और पानी भी। लेकिन मुझे वो सहारे की गहराई मालूम पड़ती है जिसके नीचे बहुत सारा पानी है लेकिन पलकों तक आते आते सहारे की रेत की गर्मी से सुख़ जाता है। तुम यदि इस सहारे में भूल जाओ या इसकी गर्मी की तपिश में झुलस कर अपने प्राण त्याग दो तो कुछ भी ग़लत नहीं होगा।
जैसे बियाबान सहारे में दूर तक देखने पर पानी दिखता है वैसे ही उसकी आँखो में पानी दिखता है, जिसे उसके अन्य प्रेमी समुन्द्र कहते हैं।
जब भी कभी उसका कोई पागल प्रेमी उसकी आँखों के अंदर के सहारे में उतारने की कोशिश करेगा तो पहले उसे उसकी अन्य प्रेमियों के द्वारा कहे गए मधुशाला होंठो की और उसकी साँसों की गर्मी की तपिश बर्दाश्त करनी पड़ेगी। शायद वो इस गर्मी को बर्दाश्त कर भी लेकिन उसकी आँखो की सहारे की गर्मी से झुलस जाएगा।
वही प्रेमी उसे पा सकता है जो उसकी आँखों में सहारे की गर्मी को बर्दाश्त कर ले और उस बियाबान में होने वाले धोखे को समुन्द्र या पानी ना समझे।
~"अहमद"
That's great bhai
ReplyDeleteThank you so much 🥰
DeleteBahut acha likha huwa h.
ReplyDeleteThank you so much 🥰
Deleteउस बियाबान में होने वाले धोखे को समुन्द्र या पानी ना समझे। waah waah bahut khub👍👍👍👌👌👌👌
ReplyDeleteThank you so much Bhai 🙏❤
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