किताब:- क्षणिक कहानियों की विरासत।
लेखक:- अंकुर मिश्र "युगल"
प्रकाशक:- बोधि प्रकाशन
एफ़-77, सेक्टर 9, रोड नंबर 11, करतारपुर इंडस्ट्रियल एरिया, बाइस गोदाम, जयपुर-302 006
प्रकाशन वर्ष: फरवरी 2016
मूल्य:- 100/-
ISBN: 978-93-85942-26-6
अंकुर मिश्र "युगल" |
कविता संग्रह 'क्षणिक कहानियों की विरासत' को अंकुर मिश्र "युगल" ने अपनी दादी और बाबा को समर्पित करते हुए अपनी 47 कविताओं में अकेलेपन, जीवन संघर्ष स्त्री-विमर्श, मातृ प्रेम, गाँव, शहर, शिक्षक, कुदरत, राजनीति और समाज के साथ साथ और भी बहुत सारी विशेष और मेहनतकश वर्ग से संबंध रखनेवाले विभिन्न मुद्दों को बड़ी ख़ूबसूरती से समेटा है।
कविताएँ असल में जीने का सार होती हैं। यह तब जीवन में एक सहयोगी की तरह काम करती है जब हमारी जीवन में सब छोड़ कर आगे बढ़ जाते हैं और उस समय भी जब हम अपनी मंज़िल को पाने के लिए सब को पीछे छोड़ कर अकेले हो चुके होते हैं।
"युगल" कभी अपने किराए के कमरे को माँ कहते हैं तो कभी अपनी मिट्टी को माँ कहकर उन माँओ के तरफ से सवाल करते हैं जिसने अपने बच्चे इसे समर्पित कर दिए। वो पूछते हैं कि
"क्या तुम्हें माँ याद नहीं आयी?"
वो अपनी कविताओं के माध्यम से पूछते हैं कि
"क्या स्त्री होना अपराध है?"
और भी बहुत सवाल जो पूछे जाने ज़रूरी हैं। जो समाज के सही समीकरण को बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। ये ज़रूरी है कि इनके जवाब निकले जाए और सबको इस से औगत कराया जाए ताकि समाज, समाज बना रहे, ना कि कोई अदालत।
अंकुर मिश्र "युगल" |
दो कविताएँ यहां पढ़ सकते हैं।
1..."ऐसा भी कोई गाँव है"
ऐसा भी कोई गाँव है
शहर से दूर
शाँति के साथ
सुदूर एक गाँव
जहां मंदिर है
मस्जिद है
चर्च है
गुरूद्वारा है
लोग धार्मिक हैं,
पर सरकार मार्मिक है
गाँव में नहीं है सड़क
स्कूल नहीं है
अस्पताल नहीं है
ऐसा भी एक गाँव है...
उन्हें क्या पता
क्या होते हैं
मस्जिद और शिवाले ?
वो जो भूखे होते हैं
वो बस जानते हैं
निवाले...
गुरुद्वारा नहीं
बेसहारा को एक सहारा चाहिए
चर्च नहीं
बस उन्हें खाने का खर्च चाहिए.
क्या है ये सब आज के गाँव में ?
नहीं ?
तो क्या ये भी कोई गाँव है ... ।
2... "माँ से दूर"
माँ से दूर ,
माँ कैसे संभालती होगी खुद को
जो इंतजार दर इंतजार
करते थकती नहीं थी...
रात के खाने के लिए
इंतजार
रोटी से बातें कर - करके
करती थी...
अब तो वो सो
जाती होगी इंतज़ार करते - करते...
अब घर से दूर
रात की ठंडी रोटियाँ बयां करती है
उस देर रात के इंतजार
और माँ के प्यार को...।
AAP REVIEWS BAHUT ACHHIU KARTE HO BHAI
ReplyDeleteYE REVIEW PADH KAR LAGA KI KITAB ACHHI HAI,,, KIVITAYEN BAHUT ACHHI LAGI..
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