"अलग-अलग नज़रिये"
हर इंसान ज़िन्दगी को अपने अपने नज़रिये से देखकर राय देता है और ज़िन्दगी को बसर करने की, गुजारने की सलाह भी देता है।
कोई भी इंसान ये नहीं चाहता की मेरी तरह, मेरी आने वाली नसल (पीढ़ी) की ज़िन्दगी बसर हो, हर किसी की यही ख्वाहिश होती है कि उसकी आने वाली नसल उससे ज़्यादा अच्छी ज़िन्दगी बसर करे और आने वाली नसल की ज़िन्दगी को आबाद करने की ख्वाहिश और जाद्दो-जहद मे वह अपनी भी ज़िन्दगी को आज़ाब बना लेता है और खुदावंद से भी बहुत दुर निकल जाता है।
कोई भी इंसान ये नहीं चाहता की मेरी तरह, मेरी आने वाली नसल (पीढ़ी) की ज़िन्दगी बसर हो, हर किसी की यही ख्वाहिश होती है कि उसकी आने वाली नसल उससे ज़्यादा अच्छी ज़िन्दगी बसर करे और आने वाली नसल की ज़िन्दगी को आबाद करने की ख्वाहिश और जाद्दो-जहद मे वह अपनी भी ज़िन्दगी को आज़ाब बना लेता है और खुदावंद से भी बहुत दुर निकल जाता है।
लेकिन इंसान हमेशा ही ये भूल जाता है कि खुदा ने इस जहाँ मे बहुत तरह की मखलूक ( जीव) को पैदा किया है, जनावर, पेड-पौधे, और ना जाने कैसे कैसे मखलूक को ज़िन्हे हम खुली आँखो से देख भी नहीं सकते और उसको भी खुदा रिज़्क देता है |
तो फिर क्यों इंसानी मख़लूक अपनी रिज़्क की ख़ातिर उस खुदावंद को भी भूल जाता है ...??
तो फिर क्यों इंसानी मख़लूक अपनी रिज़्क की ख़ातिर उस खुदावंद को भी भूल जाता है ...??
उसने तो वादा किया है कि वह हर किसी को रिज़्क देगा, बस शर्त ये रखी, कि उसकी मखलूक उसकी इबादात करे और अपनी रिज़्क की खातिर मेहनत भी करे |
~"अहमद"
Bahut sahi baat hai,, har aadmi apne apne hisab se baat ko rakhta hai.
ReplyDeleteThank you so much Bhai 🙏❤
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